एक बार शमौन पतरस और उसके मित्र मछली पकड़ने के असफल अभियान को खत्म कर के, अपने नाव का लंगर लगाने वाले थे, जब यीशु उनके पास आया। उसने पतरस को उसके नाव को थोड़ा और गहरी जगह पर ले जाने को कहा, ताकि वह थोड़े दुर पर खड़े होकर लोगो के भीड़ को सेवा दे सके।
पतरस यह करने के लिए बाध्य हो गया और यीशु उसके नाव पर खड़े होकर प्रचार करने लगा। जब यीशु की सेवा खत्म हो गई, तो उसने पतरस को कहा, “…गहिरे मंे ले चल, और मछिलियां पकड़ने के लिये अपने जाल डालों” अब यहाँ पर पतरस के प्रतिऊतर पर जरा अपनी ध्यान ले जाए; वह कहता है कि “… हे स्वामी, हम ने सारी रात मेहनत की ओर कुछ न पकड़ा; तौभी तेरे कहने से जाल डालूँगा।”(लूका 5:4-5)। क्या आपने कभी सोचा है कि पतरस का प्रत्तिउतर ऐसा क्यों था? पतरस को क्या हो गया था? मैं आपको बताता हूँ की उसे क्या हो गया था; यीशु के प्रचार को सुनने के द्वारा उसके अंदर विश्वास आ गयी थी; जिसके कारण उसके लिए प्रभु के बातों का अनुसरण करना असान हो गया था।
पतरस को यह पता होने के बावजुद की स्वभाविक रूप से यह उसके और उसके साथियों के लिए, उस जगह मछली पकड़ना अशंभव था, उसने यीशु के वचन पर भरोसा कर के कदम उठाया, जिसका परिणाम उसने सोच बढ़कर था। बाइबल बताती है, “जब उन्होंने ऐसा किया, तो बहुत मछलियाँ घेर लाए, और उनके जाल फटने लगे। इस पर उन्होंने अपने साथियों को जो दूसरी नाव पर थे, संकेत किया, कि आकर हमारी सहायता करोः और उन्होंने आकर, दोनो नाव यहाँ तक भर लीं कि डूबने लगीं।”(लूका 5:6-7)
मसीह जीवन में विश्वास के महत्व को जितना ज्यादा बल दे उतना कम है। मगर विश्वास है क्या? यह मनुष्य के आत्मा का परमेश्वर के वचन को प्रतिउत्तर देना है। जब आप पतरस के समान विश्वास से उसके वचन को सुनने के बाद अपना प्रतिउत्तर देते है तो आपके पास निश्चय गवाही होती है। तो वचन के द्वारा अपने विश्वास की उन्नति करें और इसके प्रयोग के द्वारा अपने विश्वास को मजबुत बनाए; और इसे वचन को अपने जीवन में प्रयोग के द्वारा किया जाता है।
प्रार्थना और घोषणा
प्रिय पिता, जैसे जैसे मैं वचन सुनता हूँ, अध्ययन करता हूँ, और मन्न करता हूँ, मेरा विश्वास मजबूत होता है और मैं वचन पर कार्य करने लगता हूँ। यह मेरे अंदर प्रबल होता है। मैं परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करता हूँ क्योंकि मैं अब्राहम का बीज हूँ। मुझ में दृढ़ विश्वास है, यीशु के नाम से, आमीन!