यीशु ने उपर उठाए जाने से पहले अपने चेलों को कहा, “…मेरे प्रेम में बने रहो” मसीह का प्रेम सच में है; यह संसार मे किसी और चिजों से बढकर है। इफिसियों 3:17-19 कहता है,“और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर। सब पवित्र लोगों के साथ भली भाति समझने की शक्ति पाओं; कि उसकी चैड़ाई, और लम्बाई, और ऊँचाई, और गहराई कितनी है। और मसीह के उस पे्रम को जान सको जो ज्ञान से परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ।”
इसलिये परमेश्वर की सेवा करना, उसके कार्य को आगे बढाना, उसके प्यार का सम्मोहक बल का परिणाम है। सुसमाचार के कार्य में जिस प्रकार से हम सेवा करते है, उसे काम के रूप में देखने के बावजुद असल में यह कोई “काम” नहीं है; बल्कि उसके साथ संगति में चलना है, और उसके प्रेम में जीना है। कई लोग परमेश्वर के भवन के छोटे- छोटे कामों को ना करने के कई बहाने देते है। उनका यह कहना होता है कि वे बहुत वस्त है, इसलिऐ वे कलीसिया के कामों में अपना हाथ नहीं बटा सकते। मगर वे भुल जाते है कि उनकी उपलब्धता उनके प्रेम से उत्पन्न होती है न की उपलब्धता से प्रेम! जब आप उसके प्रेम मे दिवाने होते है, तो आप केवल उसे खुश करने वाले कदम उठाते है।
इसके अलावा, क्योंकि आप उसके प्रेम में जी रहे होते है, आप हमेशा तरोताजा रहतेे है; आपका दर्शन हमेशा बड़ा होता रहता है और आप हमेशा आगे ही बढ़ते रहते है।।
उसके साथ आप हमेशा बढतें हुए महिमा के यात्रा में होते है; फिर आपको मजबुत बने रहने, सही तरिके से कार्य पुरा करने और उसके उदेश्य को पुरा करने के विषय में सोचने की जरूरत नही पड़ती है, बल्कि आप हमेशा इस विषय में उत्साहित रहते है कि वह आपके अंदर है और आप उसमें है! वही आपकी सफलता, महिमा और ताजगी बन जाती है! उसके बाद आप केवल इसी विषय में सोचते है कि उसे और ज्यादा कैसे जाना जाए, उसे कैसे खुश करें और कैसे उसे और ज्यादा प्यार करें! फिर प्रत्येक दिन, आपके लिए अपने दिल में उसके प्रति और प्रेम रखकर, उसके आशीषों, महिमा और प्रेम को जानने का एक नया अवसर बन जाता है।
प्रार्थना और घोषणा
प्रिय पिता, मैं अपनी आत्मा में आपके प्यार के लिए हमेशा आभारी हूँ, जो सुसमाचार में मेरे काम को फलदायी पूर्णतापूर्ण और सफल बनाता है। मैं आपके प्यार से प्ररित होकर, आपके प्रेम को पापियों तक पहुँचाने के लिए और उन्हें अंधकार से राज्य से छुड़ाकर आपके प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराने के लिए प्रेरित होने लगा। यीशु के नाम से, आमीन!