क्या आपको पता है कि आप उससे क्या प्राप्त करेंगे, यह पुरी तरिके से निर्भर करता है कि आप उसे किस तरह से देखते है? अगर आप यीशु को चंगाकर्ता के रूप में देखते है, तो आप उससे चंगाई प्राप्त करेंगे। अगर आप यीशु अपना शरणस्थान देखते है, तो आप उससे सुरक्षा प्राप्त करेंगे।
यीशु के शहर के लोगो ने उसे साधरण रूप में देखा। उन्होने कहा, “क्या यह बढ़ई का बेटा नहीं ? और क्या इस की माता का नाम मरियम और इस के भाइयों के नाम याकूब और यूसुफ और शमौन और यहूदा नहीं? और क्या इस की सब बहिनें हमारे बीच में नहीं रहतीं? फिर इस को यह सब कहां से मिला ?” (मत्ती 13ः55-56) उन्होनें यीशु को एक साधरण वयक्ति के रूप में देखा। उन्होनें यीशु को एक ऐसे परमेश्वर के रूप में नहीं देखा जो शरीर में प्रकट हुआ हो। इसका परिणाम यह हुआ कि यीशु उस जगह बहुत से चिन्हृ-चम्तकार के कार्य नहीं कर पाया(मत्ती 13ः58)।
आज, बहुत से लोग यीशु के एक अच्छे वयक्ति के रूप में देखते है, जिसने एक बहुत अच्छा जीवन जीने का राह बताया। वे सोचते है कि अगर हरेक लोग यीशु के समान जीने लगे तो यह दुनिया एक अच्छे रहने का स्थान बन सकता है।
मगर वे यीशु को परमेश्वर की ओर से जीवन की रोटी के रूप में नहीं देखते है, जो इस संसार के लिए आयी है (यूहन्ना 6ः33)। वे यीशु को उस जीवन के जल के रूप में नहीं देखते है, जो इस संसार को जीवन जल देने के लिए आया है, ताकि वे फिर प्यासे न हों(यूहन्ना 4ः14)। वे यीशु को परमेश्वर के मेम्ने के रूप में नहीं देखते है, जिसने इस संसार के पाप को अपने ऊपर ले लिया(यूहन्ना1ः29)। लोगो को जो चाहिए वह प्राप्त नहीं होता है क्योंकि लोग यीशु को सही तरिके से ग्रहण नहीं कर पाते है।
यीशु लोगो के लिए केवल सही उदाहरण पेश करने के लिए नहीं आया। वह हमारा छुटकारा बनने के लिए आया था(गलातियों 3ः13)। वह हमारी धार्मिकता बनने के लिए आया (1कुरिन्थियों 1ः30)। वह हमारा चरवाहा बनने के लिए आया ताकि हमे कुछ कमी न हों (भजन 23ः1)
एक बार यीशु ने अपने चेलों से पुछा, “पर तुम मुझे क्या कहते हो?” आप इसका उतर कैसे देते है, यह पुरी तरिके से निर्भर है इस बात पर की आप यीशु को कैसे देखते है और आप यीशु को कैसे देखते है यह निश्चित करता है कि आप उससे क्या प्राप्त करेंगे। तो उसे अपने परमेश्वर के रूप में देखे, और वह अपने वचन में अपने प्रति क्या कहता है, उसके रूप में देखे, और फिर उसके महान कार्य को अपने जीवन में पुरी होते देखें!
प्रार्थना और घोषणा
प्रिय पिता, आपको मैं धन्यवाद देता हूँ की आपने यीशु को मेरे लिए सबकुछ बना दिया! मेरे लिए यीशु केवल अंनत जीवन देने वाला नहीं है, मगर वह सबकुछ है जिसकी आवश्यकता मेरे जीवन को है। वह मेरी चंगाई है, वह मेरी शांति है, वह मेरी भरपुरी है, वह मेरा छुटकारा है, वह मेरा प्रबंध और मेरा छुटकारा है! यीशु के नाम से, आमीन!