धार्मिकता परमेश्वर का चरित्र है जो हमारें आत्मा में दिया गया है ताकि हम उसके समान बनें। उसका यह चरित्र आपको उसके समान सोचने वाला, बात करने वाला और चलने वाला बनाता है। धार्मिकता परमेश्वर की इच्छा और स्वभाव के अनुरूप है। इस परमेश्वर के ईच्छा और स्वभाव को परमेश्वर के प्रकाशन या उसके द्वारा दिऐ गए प्रकाशन से खोजना, सीखना और प्राप्त करना जरूरी।
दुसरे शब्दों में वचन के द्वारा आप धार्मिकता के सिंद्धात में प्रशिक्षित होते हैं; आप अलग तरिके से देखने के लिए प्रशिक्षित होते है! 2 तीमुथियुस 3:16 “हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्ररेणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।” परमेश्वर का वचन आपको धार्मिकता के मार्ग और जीवन में प्रशिक्षित करने के लिए परमेश्वर का निर्देश मैनुअल है।
परमेश्वर के वचन और पवित्र आत्मा के सेवकाई के द्वारा आपको सिखाया जाता है कि आप अपने माहौल के विपरित परमेश्वर के राज्य में कैसे जीए। इस प्रशिक्षण के साथ आप मसीह के साथ राज्य करते हुए, अपने जीवन में बुद्धिमानी और श्रेष्ठ तरीके से व्यवहार करने में सक्षम होते है। रोमियों 5:17 कहता है “…जो लोग अनुग्रह और धर्मरूपी वरदान बहुतायत से पाते हैं वे एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के द्वारा अवश्य ही अनन्त जीवन में राज्य करेंगे।”
शैतान, बीमारी, विफलता, हार और मुत्यु पर शासन करने के लिए धार्मिकता की समझ होनी जरूरी है। जो कुछ भी परमेश्वर की ओर से नहीं है उसका त्याग, और केवल उसकी ईच्छा को बढावा देना, धार्मिकता की समझ की मांग करती है, अलग तरह से सोचना, अलग तरिके से देखना और परमेश्वर के प्रकाश में अलग बात करना, यह धार्मिकता के वचन के कौशलता से होता है।
यही कारण है कि आपको लगातार अपने आपको वचन के सेवा के लिए तैयार रखना है।
प्रार्थना और घोषणा
मैं एक राजा के समाना राज्य करते हुए हमेशा अपने परिस्थितियों उपर रहा हूँ क्योंकि मुझे अनुग्रह और धार्मिकता का वरदान मिला है। मेरा जीवन उत्कृष्ट और महिमा से भरा है; मुझे अलग देखने, बात करने, और अलग चलने और धार्मिकता में जीवन जीनें के लिए प्रशिाक्षित किया गया गया है। यीशु के नाम से, आमीन !