उसमें अपने उदेश्य को जानें

कई लोग सवाल करते है कि “क्या इस पृथ्वी पर परमेश्वर की इच्छा जानना संभव है?“ इसका जवाब है… जी हाँ! परमेश्वर बहुत ही अच्छा संवादक है।अगर आप परमेश्वर से अपने जीवन के विशेष मकसद् पुछगें तो वह ऐसे अंदाज में आपसे बाते करेगा जिसको आप समझ सके। वह आपकी मदद् करेगा उस लक्ष्य तक जाने के लिए जिसके लिए उसने आपको बुलाया है।आपको बस यह कहने की जरूरत है कि “प्रभु मेरी आत्मा की अगुवाई करें। मैं वह सब कुछ बनना चाहता हूँ जिसके लिए आपने मुझे बुलाया है“।और फिर जैसे जैसे वह आपकी अगुवाई करता है। अपनी आत्मा के अगुवाई मे चले।

कभी कभी परमेश्वर की आत्मा आपको विशेष चिज के लिए अगुवाई करेगी और कभी किसी चिज के लिए मना।आपके आत्मा में यह उसके अगुवाई का संकेत है। जब परमेश्वर आपके आत्मा में किसी चिज के लिए आपको मना करता है तो इसका मतलब यह नही है कि वह चिज गलत है मगर ऐसा हो सकता है कि अभी वह चिजे करने का समय नहीं है। फिर भी अगर आप उसकी मानते है तो आप हमेशा उसकी उतम ईच्छा में चलेगें। ऐसा करने से आप अपने जीवन के हरेक स्तर पर सफल होगें।

हो सकता कि आप अपने व्यवसाय के लिए या फिर निवेश के लिए नए मौको को खोज रहे होगे। मैं आपको उत्साहित करूंगा कि आप उसके आत्मा की सुने। वह आपकी सफल अगुवाई करेगा और आप अपने निवेश और व्यवसाय में सफल होगें। मैं अपनी कलीसिया में हमेशा सिखाता हूँ कि कोई भी काम जो लोगो के लिए सही हो और परमेश्वर को महिमा देता हो बिना समय गवाए कर लेना चाहिए।मगर यह बहुत ही समान्य श्रेणी में आती है।कुछ बातें आपके जीवन में आपके लिए बहुुत निजी होगी और यह आपके व्यक्तित्व के लिए विशेष बाते होगी। जिसका मतलब यह होता है कि होसकता है कि कोइ कार्य लोगो के लिए सही हो और परमेश्वर को भी महिमा मिलता हो मगर परमेश्वर नही चाहता कि आप अभी उस कार्य को करें। यही कारण है की यह आपके लिए बेहद जरूरी है कि आप उसमें अपने जीवन के उदेश्य को खोजेता किजो विशेष दिशा और लक्ष्य उसने आपके लिए रखी है उसमें आप चलने लगें । इसलिए तो हम परमेश्वर के वचन हरेक दिन सिखते है और पवित्र आत्मा के अगुवाई के प्रभाव को अपने जीवन में आने देते है।आप जितना ज्यादा उसके अवाज को अपने आत्मा में पहचानेगें, वचन समझेंगे और उसको प्रयोग में लाऐंगे उतना ही उसकी अवाज आपके आत्मा में साफ होती जाऐगी। ऐसा करने से आप कभी भी इस उलझन में नही पड़ेगें कि अब आपको क्या करना चाहिए या फिर कहा जाना चाहिए। आपकी मंजील हमेशा आपको साफ दिखेगी क्योंकि आपको ले जाने वाला आपका परमेश्वर होगा। आप प्रत्येक दिन उसकी ईच्छा का प्रकाशन बन जाऐगें और सफल जीवन जीएगें।

कभी अकेला नहीं

परमेश्वर के पुत्र होने के कारण, आप कभी भी अकेले नही होते है। जब तक आपके अंदर पवित्र आत्मा है तब तक ना आप अकेले है औरना कभी अकेले रहेगें। वह आपके अंदर निवास करता है और आपके साथ रहता है। और यह कभी कभी नही पर हमेशा के लिए होता है। यह उसके सेवा का हिस्सा है कि आपके साथ संगति करें, आपके विश्वास को बढ़ाए और आपके हिम्मत को परमेश्वर के ईच्छा को पुरी करने के लिए और भी मजबुत करें।

पवित्र आत्मा के सेवा को अपनें अंदर उसको सम्मान करने,महिमा देने और स्तुती देने के द्वारा बढ़ाए। हो सकता है कि आप किसी को सुसमाचार सुनाने के लिए बाहर गए हो, याद रखे आप अकेले नही है।आप जब लोगो को प्रभु के विषय मे बता रहे है तो वह लोगो के दिलों में बात कर कर आपके संदेश को पक्का कर रहा होता है। वह आप के साथ आपके सेवा में कार्य करता रहता है।

जब भी आपको लगता है कि आप अकेले है या आपके सेवा में वैसा कार्य नही हो रहा है जैसा होना चाहिए तो हमेशा याद रखे कि आप अकेले नही है पर पवित्र आत्मा आपके साथ उस कार्य मे सहभागी है। उसके कार्य और उसकी उपस्थ्ति को अपने अंदर स्वीकार करें जैसे कि यीशु मसीह नें किया। यीशु ने कहा “….पिता जो मुझ में रहकर अपने काम करता है।“- यूहन्ना 14 :10। यीशु ने यह स्वीकार किया कि पवित्र आत्मा जो पिता है, उसमें रह कर काम करता है।

यह स्वीकार करें कि पिता(पवित्र आत्मा) आपके अंदर है। वह किसी प्रभाव और प्रेणा से कही बढ़कर है। वह आपका पिता है, वह आपका अगुवा और पालक है। अपने जीवन के लिए उसके उपर भरोसा रखें और आप हमेशा सफल होगें। वह आपका सच्चा सहायक है जिसके उपर आप सम्पुर्ण विश्वास कर सकते है।

वह आपको हरेक परिस्थिती से बाहर लिकालने में सक्षम और विश्वास योग्य है। शायद आप अभी किसी परिस्थिती का सामना कर रहे होगें।हो सकता है कि यह आपकी आर्थिक,परिवारीक,व्यापार,पढाई या फिर भविष्य किचिंता की परेशानी हो मगर घबराए नहीं क्यों कि आप अकेले नही है। अपनी साहायता के लिए लोगो की ओर ना देखे पर अपना ध्याान पवित्र आत्मा पर लगाए क्योंकि वह आपकी सहायता के लिए कभी भी असफल नही होता है।

हमने जो उपर तसली देने वाले पद पढें है उसें फिर पढें और मनन् करें ।

उसे आपकी जरूरत है!

अगर आपके पास घर है और आपने उस घर को किराये पर दिया है तों वह घर आपकी रहेगी मगर उस पर किराये के समय तक के लिए आपका अधिकार नही रहेगा। जिसका मतलब यह होता है कि आप उस घर को नही चला सकते क्योंकि आपने उस घर पर किसी और को अधिकार दे रखा है।किरायेनामें के अनुसार उस घर को चलाने का अधिकार संपुर्ण तरिके से किरायेदार को होता है।

उसी तरिके से परमेश्वर ने इस संसार को मनुष्य के हाथ सौप दिया कि वह इसे चलाए। वह इस संसार को अकेला नही चला सकता क्योंकि उसने इसका अधिकार आप को दे रखा है। उसका समय आएगा जब वह आकर इस संसार को चलाएगा मगर जब तक वह वापस नही आता उसने यह जिम्मेदारी आप को और मुझे दे रखी है।और वह इस बात का पूरा लेखा हमसे लेगा कि हमने इस काम को कितने बेहतर तरिके से किया है।

बहुत सारे लोग यहा तक की मसीह लोग भी यह सोचने में लगे हुए है कि इस संसार में बहुत सारी बुराईया हो रही है आखीर परमेश्वर उन्हे रोकता क्यों नही ताकी सब कुछ अच्छा हो जाए? अगर आप अब भी परमेश्वर का ईन्तेजार कर रहे है कि वह आकर सब कुछ ठिक करेगा तो आप गलती कर रहे है। उसे आपकी जरूरत है। वह कुछ नही कर रहा है और आपके बिना कुछ करेगा भी नही, जब तक कि वह किरायानामा खत्म ना हो जाए और वह नया स्वर्ग और पृथ्वी ना आ जाए। पर जब तक यह हो नही जाता इस संसार की जिम्मेदारी आपकी और मेरी है।

जरा इसे ऐसे देखेः परमेश्वर चाहता कि हम सब भले-चंगे रहे और उसकी ईच्छा हमें उसके वचन से पता चलती है 3 युहन्ना 1:2 “हे प्रिय, मेरी यह प्रार्थना है कि जैसे तू आत्मिक उन्नति कर रहा है, वैसे ही तू सब बातों में उन्नति करे औ भला-चंगा रहे“ । तब भी वह याकुब 5:16 में कहता है“ इसलिये तुम आपस में एक दूसरे के सामने अपने-अपने पापों को मान लो, और एक दूसरे के लिये प्रार्थना करो, जिस से चंगे हो जाओः धर्मी जन की प्रार्थना के प्रभाव से बहुत कुछ हो सकता है“।

ऐसा क्यों? वह क्यों चाहता है कि हम एक दुसरें के लिए प्रार्थना करें? वह क्यों नही हमें खुद ही चंगाई दे देता है। ऐसा इसलिऐ क्योंकि ऐसा करने के लिए उसने हमें अधिकार दे रखा है औरकिराये नामें के अनुसार हम इस पृथ्वी को आशिष देने वाले लोग है। इसलिए अपने स्थान को मसीह यीशु के संगी वारीस होने के नाते लेले और अपने उदेश्य को इस पृथ्वी पर पूरी करें। इस पद को पढ़े रोमियों 8:19-21 “क्यों कि सृष्टि बड़ी आशा भरी दृष्टि से परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह रही है। क्योंकि सृष्टि अपनी इच्छा से नहीं पर अधीन करने वाले की ओर से, व्यर्थता के अधीन इस आशा से की गई कि सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी“। उसे आपकी जरूरत है!

He Will Guide You

Why are many dreams shattered, and great human potential squandered in the world today? Why does a prosperous home, with happy and vibrant family members, sometimes plunge into an abyss of poverty suddenly? How did the world ever become such a rendezvous of broken humanity? The answer isn’t farfetched. It’s all because of bad decisions. There’s social disorder, political turmoil and economic quandary in many countries simply because some people made unwise choices. And here’s the reason: They’re spiritually destitute!

When people are barren of the presence of the Holy Spirit in their lives; when they aren’t led and guided by him, they can hardly make wise decisions. But if you’re born again and filled with the Holy Spirit, He helps you to locate the right information in any circumstance and inspires you to take the right decision.

As a young person, you’re in a significant phase of your life – a phase where you’d need to make a lot of critical decisions to determine the life you live tomorrow. So I encourage you to take advantage of the Holy Spirit’s presence in you. The Bible says, “Trust in the LORD with all your heart, and lean not on your own understanding; in all your ways acknowledge Him, and He shall direct your paths” (Proverbs 3:5). The Holy Spirit is your secret of success. If you’d let him lead you, he’d impart to you the wisdom to build a successful, prosperous and influential life.

Look Down and Be Victorious

Have you ever thought why one thing can make one believer very fearful and another believer very courageous ? For one guy it’s very discouraging and for other, his heart is so filled with faith that he dares to comes against the situation! Here hides the secret of understanding the Covenant of God. Anyone who understand the Covenant can not and would not chose to live a life of slave under their circumstances.

In the Valley of Elah, Goliath the Philistine giant taunted the armies of Israel for 40 days. When David came on the scene, he heard the same mockings of Goliath that the rest of the Israelites heard. But somehow, those same words which caused fear in the soldiers angered David. What did David know or see that the others failed to see?
David knew that he had a covenant with God. Now, King Saul and all the soldiers with him that day also had the same covenant with God, but they forget and did not understand covenant well enough to have faith on it.

Have ever thought why God told Israelites to circumcise? So they would carry the mark of the covenant in their body, and always remember what God has told their fathers about their victory. That day all the soldiers including king saul were caring the mark of the covenant in their body but they did not look down to remember what God has said about them. Only David knew the secret that is why David believed the covenant. And he acted on his belief. So God caused his giant to come tumbling down.

If David had such a great victory even though he was under the old covenant, how much more you and I who are under the new covenant! Today, God is asking, “Where are my Davids who will believe the new covenant?”
What is the new covenant? It is the covenant of grace. And grace means unmerited, undeserved, unearned favor. God wants us to know that He has cut this covenant with us through Christ our representative. And according to the covenant, we have His undeserved favor. We are blessed because Jesus took our beating. Because of what Jesus has done on the cross, we have victory over every giant.

Isn’t that good news? Today, God wants you to stand before your “giant” and declare that in spite of what you are going through, in spite of what is happening, you believe that God is for you because of what Jesus has done for you. And then, before your very eyes, you will see the giants of accusation, intimidation, condemnation, disease and debt fall flat before you!