मिस्त्र देश से इस्त्राएलीओ को निकालने के बाद, जब परमेश्वर उनको सिखाना चाहता था, तो उसने मुसा का इस्तेमाल किया। क्यों? इसका उतर बहुत साधरण हैः उसको ऐसा मनुष्य चाहिए था जिसकी मानसिकता इस्त्राएलीयों से बिलकुल भिन्न थी। इस्त्राएलीयों की मानसिकता गुलामी वाली थी मगर मुसा बिलकुल अलग था। वह तो फिरौन के महल का राजकुमार था। यह आप उससे नही छिन सकते थे। वह जंगल में चरवाहा बन गया मगर उसके अंदर एक राजकुमार जीवित था। उसकी मानसिकता एक राजकुमार वाली थी।
जब उसने झाड़ी जलनेवाली अद्भुद दृश्य देखी कि झाड़ी में आग तो लगी है मगर वह जल के खत्म नहीं हो रही है, तो वह यह सब देखकर डरकर नही भागा। बल्कि वह कहता है कि “…मैं उधर फिरके इस बड़े अचम्भे को देखूंगा, कि वह झाड़ी क्यों नही जल जाती”(निर्गमन 3:3)। वह निर्भय था। बाईबल के और भी दो किरेदार है जो मुसा के समान मानसिकता वाले थे। वे यहोशु और कालिब थे। उनके पास विजय कि मानसिकता थी; वे हमेशा विजय सोचते थे।
जब उनको प्रतिज्ञा वाले देश में जाच के लिए भेजा तो उन्होंने इससे इन्कार नहीं किया कि वहा दानव के समान मनुष्य रहते थे। परन्तु उन्होंने उन दानवो को किसी रोटी के समान देखा। उनकी मानसिकता बिलकुल भिन्न थी। वही पर जब उन दस इस्त्राएलीयो ने विश्वासहिनता वाली प्रतिक्रिया दिखाई। यहोशु और कालिब की प्रतिक्रिया विजय वाली मानसिकता को प्रकट कर रही थी। परमेश्वर का वचन आपके अंदर यही करता है; वह आपको विजय और श्रेष्ठ वाली मानसिकता प्रदान करता है।
परमेश्वर का वचन आपको सही सोचने और सही कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है, क्योंकि वचन परमेश्वर की बुद्धि है; यह वह शक्ति है जो आपको परमेश्वर की ईच्छा को करने के लिए प्रेरित करती है। परमेश्वर का वचन आपके अंदर धार्मिकता की बुद्धि उत्पन्न करती है(लुका1:17)। कुछ मसीह लोग धर्मी बनने के बावजुद धार्मिकता के बुद्धि में नहीं चलते है।
बीमारी न सोचे; गरीबी न सोचे; अपने मन को परमेश्वर के वचन से नया बनाए और परिस्थिति के विपरीत, अपने बारें में उसके वचन की घोषणा करते रहे। इसी को धार्मिकता की बुद्धि कहते है।
प्रार्थना और घोषणा
पिता, मुझे धार्मिकता की बुद्धि देने के लिए धन्यवाद। आपकी बुद्धि मेरे अंदर है। आपने मुझे हरेक बुद्धि की आत्मा दी है और मैने उसे ग्रहण किया है। मुझ में परमेश्वर की बुद्धि है, इसलिए मैं निर्भय हूँ। यीशु के नाम से, आमीन!