बहुत से विश्वासी यह समझने से चुक जाते है कि सामथ्र्य ज्ञान के द्वारा सक्रिय होती है। 2 पतरस 1:3 कहता है, “क्योंकि उसकी ईश्वरीय सामथ्र्य ने सबकुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है।” नितिवचन 11:9 कहता है कि धर्मी का छुटकारा ज्ञान के द्वारा होता है। उनका केवल छुटकारा ही नहीं होता है मगर उनको उनकी विरासत भी अवश्य ही दी जाती है।
जब आप परमेश्वर के वचन का अध्ययन करने लगते है, तो आप केवल मसीह मे क्या विरासत है उसी को नहीं पा लेते है मगर परमेश्वर ने मसीह में आपके लिए क्या रखा है, उसका भी आंनद आप उठाने लगते है। प्रेरित की पुस्तक 20:32 कहता है “अब मैं तुम्हें परमेश्वर को, और उसके अनुग्रह के वचन को सौंप देता हूँ; जो तुम्हारी उन्नति कर सकता है और सब पवित्र किए गए लोगों में साझी करके मीरास दे सकता है”।
परमेश्वर के वचन में आपको इमारत के समान बनाने की क्षमता है। इससे कोई फ्रक नहीं पड़ता की समष्या कौन सी है; मैंने कोशीश की मगर इसने कार्य नहीं किया जैसी कोई चिजे नहीं होती है। परमेश्वर का वचन कार्य करता ही है! इसमें आपको और आपकी परिस्थिति को बदलने की सामथ्र्य। लेकिन इसके लिए आपको परमेश्वर का वचन का ज्ञान होना जरूरी है ताकि यह आपके जीवन में कार्य करें।
यही कारण है कि हम लोगो को परमेश्वर के वचन की सच्चाई सिखाते है, इससे लोग परमेश्वर के वचन की आशीषों से अवगत हो जाते है और वे फिर आशीषों की सच्चाई में चलने लगते है। परमेश्वर के वचन का ज्ञान आपके जीवन में वचन के सामथ्र्य विश्वास को सक्रिय कर देता है:“अत: विश्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है”(रोमियों 10:17)।
आपको अपने जीवन में छुटकारे को अनुभव करने के लिए और कुछ नहीं मगर परमेश्वर के वचन का ज्ञान चाहिए। परमेश्वर के वचन का ज्ञान ही आपके जीवन का मुल अधार होना चाहिए।
प्रार्थना और घोषणा
परमेश्वर का वचन मुझ में कार्य कर रहा है और मेरे अंदर दैविक परिणाम लेकर आ रहा है। मैं नदियों के किनारे लगाए गए उस वृक्ष के समान हूँ, जो हरेक मौसम में फल लेकर आता हों। मैं जो कुछ भी करता हूँ, उस मे सफल होता हूँ, यीशु के नाम से, आमीन!