यीशु ने एक धन्यवादी जीवन जीया। उसने हमेशा अपने पिता को उसके कार्य के लिए, जो उसने किया और जो वह करेगा, उसके लिए धन्यवाद दिया। इसी तरीके से उसने अपने जीवन में चम्तकार का निमार्ण किया।
पाँच हजार लोगो को खाना खिलाने के कहानी में(यूहन्ना 6:1-13), यीशु का रवैया धन्यवाद देना वाला था। उसने बच्चे के उस खाने को लेकर जो की पाँच रोटी और दो मछली थी, धन्यवाद दिया और उसे बाट दिया। उसने उस समय जो चिजे उपस्थित थी, उसके लिए धन्यवाद दिया और फिर जो चिजे कम थी, वह बढ़कर ज्यादा हो गयी। लोगो ने उस समय केवल मनमाने रूप से खाया ही नही बल्कि उनके खाने के बाद बारह टोकरी बच भी गयी!
तो जब भी आप अपने बैंक एकाउण्ट में अल्प बचत को देखे, तो परमेश्वर को उस अल्प संख्या के लिए धन्यवाद दे। वह आपकी पाँच रोटी और दो मछली है। जब आप उसको इसलिए धन्यवाद देते है की वह आपका प्रबंधक है और आपकी जरूरतो का स्त्रोत है, तो फिर आपके पास चाहे जितना भी कम क्यों न हो, वह बढ़कर इतना ज्यादा हो जाता है कि उससे भी आप बचा लेते है!
अशंभव का सामना करने के बावजुद उसका समाधान था, “पिता, मैं आपको धन्यवाद हूँ…” जब वह लाजरस के कब्र पास खड़ा था, और लोगो ने उसके कब्र के पत्थर हटाऐ, तो उसने उस प्ररिस्थिति को आशाहीन और अंशभव नहीं देखा। उसने साधरण तौर पर अपनी आँखे उठायी और कहा, “पिता, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ की तुने मेरी सुन ली है।” फिर उसने लाजरस को बुलाया और वह वयक्ति एक बार फिर जीवित हो गया!
लाजरस को जो चार दिनो से ज्यादा मरा हुआ था, जिंदा करना यीशु के महान चमत्कारो में से एक था। और उसने इसे “पिता, मैं धन्यवाद देता हूँ की तुने मेरी सुन ली है।”, कह कर प्राप्त की। उसने धन्यवाद के द्वारा इस महान चमत्कार को प्राप्त किया।
अब अगली बार जब आप अपने आप को यह प्रार्थना करते पाए की “प्रभु कृप्या कर के मेरे लिए यह काम कर दे! कृप्या कर के मुझे यह दे दे!” तो रूक जाए! और यह कहे, “परमेश्वर मुझे सुनने के लिए आपको धन्यवाद। और क्योंकि आपने मेरी सुन ली है, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ, कि जो चिजे मैने आपसे मांगी थी, वह अब मेरे पास है।” और जब आप परमेश्वर को धन्यवाद देंगे, तो आपके पास जो थोड़ा है, वह बढ़ने लगेगा। आपकी अशंभव परिस्थिति बदलकर परमेश्वर का प्रबंध बन जाऐगा।
प्रार्थना और घोषणा
पिता, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ की आपने मेरी पहले ही से, यीशु के द्वारा सुन ली है! मेरी कोई भी प्रार्थना अनसुनी नहीं है। मेरी प्रार्थना आपके प्रति मेरा अभारीपन है। जब जब मैं धन्यवाद करता हूँ, अपने जीवन में चमत्कार देखता हूँ, जो मुझे और भी धन्यवाद कहने के लिए प्रेरित करती है। यीशु के नाम से, आमीन!