यह कितना अद्भुद है कि यह वचन हमें इब्रानियों 11:1 में वर्णित विश्वास की एक सच्ची परिभाषा की ओर लेकर जाता है जो यह है “अब विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है”। विश्वास आशा की गयी चिजों का आश्वस्त आश्वासन है और अनदेखी चिजो का पुख्ता वास्तविकता।
यही कारण है कि यीशु ने कहा,“ …यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर भी हो, तो इस पहाड़ से कह सकोगे कि यहाँ से सरक कर वहाँ चला जा, तो वह चला जाएगा; और कोई भी बात तुम्हारे लिये अशंभव न होगी”(मत्ती 17:20)। अगर एक मसीह की कलीसिया होने के नाते हम यह बात समझ ले, तो सच में हम परमेश्वर के लिए महान महान कार्य करेंगे।
धार्मिकता का फल और प्रभाव “विश्वास” है; एक ऐसा विश्वास जिससे आप विशाल पर्वत को हटा सकते है; जिसके द्वारा आप यह दिखाते है कि आपके लिए सबकुछ संभव है और आप बिना डर, चिंता, कसमकस या फिर बिना किसी घबराहट के जीते है। यशायाह 54: 14 कहता है, “ तू धार्मिकता के द्वारा स्थिर होगी; तू अन्धेर से बचेगी, क्योंकि तुझे डरना न पड़ेगा; और तू भयभीत होने से बचेगी, क्योंकि भय का कारण तेरे पास न आएगा।” जब परमेश्वर आपको अपनी धार्मिकता में स्थिर करता है तो आप अटल और दृढ़ हो जाते है(1कुरिन्थियों 15:58)।
आप अन्धेर से बचेंगे “क्योंकि” आप डरेंगे नहीं। आप क्यों नहीं डरेंगे? क्योंकि धार्मिकता के फल और प्रभाव ने आपके अंदर हमेशा के लिए विश्वास और आश्वासन उत्पन्न कद दी है। इसने आपको मसीह में पुरी तरीके से सुरक्षित कर दिया है।
अब आप उस क्षेत्र में नही है जहा आपकी जीवन की परेशानिया, परिस्थितिया, शैतान या फिर आत्माएँ आपको परेशान करें! अब आप शत्रु के बधुवाई में नही है। बल्कि आप खुद नियंत्रण में है। मसीह के समान जीवन व्यतीत करने के लिए हरेक विश्वासीयों को उसके धार्मिकता के विवेक में जीना चाहिए। परमेश्वर के धार्मिकता के विवेक में जीने का मतलब है, उसके महिमा, अधिकार, और सामथ्र्य में जीना!
प्रार्थना और घोषणा
प्यारे पिता, आपको धन्यवाद क्योंकि आपके पास मेरे लिए अच्छी योजनाए है। क्योंकि मेरे अंदर धार्मिकता का फल और प्रभाव है, मैं परिस्थितियों के अधीन होने से इन्कार करता हूँ। मैं मसीह के साथ अपने जीवन को नियंत्रण करने वाला हूँ। मैं उसके महिमा और प्रभुत्व में चलता हूँ। मैं किसी भी चिजों से नहीं डरता, यीशु के नाम से, आमीन!