यह वचन बहुत ही शिक्षाप्रद है; यह कहता है “जो कुछ भी”; यह सबकुछ है, चाहे फिर शब्दों में हो या कार्य में, यह प्रभु यीशु के नाम से होने चाहिए। क्यों ? क्योंकि आप उसमें है; आपका जन्म उसके द्वारा हुआ है। वह कहता है कि “मैं दाखलता हूँःतुम डालियाँ हो…”(यूहन्ना 15ः5)। 1कुरिन्थियों 6: 17 कहता है “और जो प्रभु की संगति में रहता है, वह उसके साथ एक आत्मा हो जाता है”। हम उसके साथ अविभाज्य एकता में है। आपकी जीवन शैली हमेंशा उसको प्रदर्शित करनी चाहिए, क्योंकि आप उसके प्रतिरूप है। आप उसके प्रतीक है।
मसीह आपके द्वारा प्रकट होनी चाहिए। यीशु ने कहा, जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देख लिया। उसने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वह पिता को प्रदर्शित करता था। वह पिता की महिमा, और उसके चरित्र का प्रतिबिम्ब था। आज इस पृथ्वी पर आप निवास करते है, इसलिए आप जो कुछ करते है, यीशु के प्रतिनिधि बन कर करें; क्योंकि आप यीशु में ही कार्यशील है।
इसलिए परमेश्वर-मनुष्य के समान कार्य करें और बातें करें। यह चेतना आपके अंदर एक अलग चरित्र को प्रदान करेगी। आप आज के वचन को पढेंः यह कहता है कि आप चाहें कुछ भी करें प्रभु यीशु के नाम से करे ! जरा इसके विषय में सोचेः आप उसके नाम में कितने लोगो को चोट पहुचा सकते है या फिर कितने लोगो को दर्द दे सकते है ? एक भी नहीं ! आप कितने अनुपयुक्त व्यवहार लोगो को यीशु के नाम में दिखा सकते है ? एक भी नहीं ! जब आप यीशु के नाम से बातें या व्यवहार करते है, तो इसका परिणाम केवल और श्रेष्ठता होती है। आपके शब्दों और व्यवहारों में यीशु को सुना और देखा जाना चाहिए।
चर्च इस बात को समझे की आप दुसरों के समान नहीं है। आपकी बातें, कार्य और सोचने का तरिका भी मसीह यीशु के समान होनी चाहिए। मसीह के प्रतिनिधित्व होने के कारण आपकी चाल-ढाल और निर्णय के तरिको में मसीह प्रत्येक पल झलकना चाहिए। कई मसीही सोच के विपरित यह बिलकुल भी कठिन नहीं है। आपको तो केवल मसीह के उस चेतना को अपने अंदर लाना है, जो नई प्राणी की पहचान है।
प्रत्येक दिन यीशु के प्रतिनिधित्व के चेतना में जीए। कभी न भुलें आप कौन है; कभी भी उसकी पहचान से अपनी छुट्टी ना ले। आप जहाँ कही भी जाऐं मसीह के चरित्र को लगातार अपने अंदर से बहने दें। चाहें फिर आप चर्च में हो, घर में हो, आफिस में हो, बाजार में हो, आपकी बातें और कार्य एक समान होनी चाहिए- हमेंशा अनुग्रह, न्रमता और श्रेष्ठता से भरपुर, यीशु के नाम से, आमीन !
प्रार्थना और घोषणा
मैं मसीह का राजदुत और प्रतिनिधित्व हूँ ! मेरी बातें और कार्य परमेश्वर के साथ मेरी एकता को दिखाती है। और जैसे परमेश्वर का वचन मेरी आत्मा में जाती है, मैं उसके ही रूप में महिमा से महिमा में पवित्र आत्मा की सहायता से बदलता जाता हूँ। आमीन !