इस संसार ने मसीहत को एक धर्म के श्रेणी में रखा है, लेकिन मसीहत कोई धर्म नहीं है। धर्म को आप ऐसे परिभाषित कर सकते है कि यह एक मनुष्य के द्वारा ऐसे ईश्वर को पाने की चाहत है, जो कही पर है, और वह मनुष्य जो भी ईश्वर है, उस ईश्वर से डरता है। और फिर उसका कार्य इस ईश्वर के चरित्र को जिसको वह समझने की कोशीश कर रहा है, प्रकट करता है; और इस ईश्वर के बारे में अपनी और धारणा के अनुसार अपना जीवन जीने की कोशिश करता है। मगर मसीहत, बिलकुल भिन्न है।
मसीहत में, मनुष्य परमेश्वर के खोज में नहीं है; बल्कि उसे परमेश्वर की एकता और जीवित संबध में लाया जा चुका है। मसीहत का अर्थ, मसीह आपके अंदर है, और आपकें अंदर कार्य कर रहा है। परमेश्वर ने आपको मसीह में एक विजय जीवन दिया है; मसीहत मसीह की उत्कृष्ट जीवन को जीना है; एक ऐसा अनावरण जीवन जो जीवित वचन के द्वारा मनुष्य के जीवन में प्रकट हुई है।
जब तक यह आपके लिए एक प्रकाशन न बन जाए, तब तक आपका व्यावहारिक रूप से कुछ भी जानना, ईसाई धार्म की सिद्धांत होगी न कि मसीहत की गहराई। मसीह बनने का अर्थ, परमेश्वर के स्वभाव को मनुष्य आत्मा में ग्रहण करना है। इसका अर्थ यह होता है कि आप उसकी धार्मिकता के प्रति उजागर हो गए है।
मसीह सच में परमेश्वर के द्वारा जन्में लोग है; वे परमेश्वर-मनुष्य है। उनके पास परमेश्वर का जीवन हैं जो वे पृथ्वी पर प्रकट करते है। सही मायने में वे “ईश्वर” है। भजन संहिता 82:6 कहता है “मैंने कहा था कि तुम ईश्वर हो, और सब के सब परमप्रधान के पुत्र हो” हम परमप्रधान के बच्चे है, क्योंकि हम “…न तो लहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए है।”(यूहन्ना1ः13) यही कारण है कि बीमारी, रोग या शरीर की कमजोरी आपका मालिक नहीं होना चाहिए। जब मसीह लोगो के अंदर परमेश्वर का डी. एन. ए. हो, तो कैसे कोई भी बातेें उनके शरीर को नकारत्मक रूप से प्रभावित कर सकती है?
आप दैविक स्वभाव के भागी है; यह स्वाभाव किसी बीमारी, रोग या किसी भी अंधकार की चिजों से भ्रष्ट नहीं हो सकता है क्योंकि यह परमेश्वर का स्वभाव है। यही मसीहत हैः यह दैविकता को बाहर अपने कार्यो के द्वारा प्रकट करना है। और यही मसीह जीवन का जीवन है, जो आपके अंदर है। स्वर्गीय बातों को इस पृथ्वी पर प्रयोग करना ही मसीहत है!
प्रार्थना और घोषणा
मैं परमेश्वर का रहने का स्थान हूँ। मैं उसमें जीता हूँ, चलता हूँ और उसमें ही मेरी पुरी वजुद है। मैं अनंत सत्य का वाहक हूँ, और दैविक प्रकृति का अंश हूँ। मेरे अंदर इस संसार को सकारत्मक तौर पर प्रभाव डालने की योग्यता है, क्योंकि जो मेरे अंदर है वह महान है। सारी महिमा परमेश्वर को मिलें!