उपर लिखें गए वचन हमारे जीवन में सफलता और भरपूरी की कुंजी को बताता है: निपुणता! कुछ लोग अपने जीवन में और परमेश्वर के कार्य में निपुणता न लाने के कारण बहुत ही अफसोसजनक स्थ्ति में आ चुके है।
यीशु मसीह अपने कार्य में निपुण थें; उसने युहन्ना 4:34 में कहा “…मेरा भोजन यह है कि अपने भेजनेवाले की इच्छाा के अनुसार चलूँ और उसका काम पूरा करूँ।” उसने यह माना की उसकी सफलता परमेश्वर के कार्य को करने और उसको पूरा करने में है। उसने अपनी जिम्मेदारी और उस कार्य के गम्भीरता को समझते हुए अपने आप को एक शख्त अनुशासन और निपुणता में रखा।
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने जीवन में किसी भी काम को पुरी नहीं करते है; और फिर कुछ लोगो के पास तो बहानों का बड़ा सा पहाड़ होता है यह बताने केे लिए कि वे उन कामों को पुरी क्यों नही कर सके। तब भी ऐसे लोग यह सोचते रहते है कि उनके जीवन में आखीर कामयाबी क्यों नही है। उनके जीवन की असफलता और दुविधा का कारण उनका उनके कामों में निपुणता न लाना है। यह हमारे जीवन में बेहद जरूरी है कि हम अपने प्रतिदिन के छोटे छोटे कामों को भी बेहतर तरिके से करें। याद रखें ”निपुणता“ आपके जीवन में सफलता की कुजीें है।
निपुणता आपको राजाओं के आगे और सफलता की ओर ले जाएगी वही आलसीपन आपको गरीबी और परेशानी की ओर। मेहनती और अपने कार्य में निपुणता लाने वाले वयक्ति हमेशा अपने संस्थाओं को उचाई पर ले जाते है। यही कारण है की दुनिया में सब से सफल कपंनियो के मालिक अपने कार्य में मेहनती और निपुण है। निपुणता सच्चे सफल वक्तियों की पहचान है! आए हम जो कुछ करें यह जानकर करें की यीशु के लिए कर रहे है और उस कार्य में निपुणता लेकर आए।
अगर आप दुनिया के सभी सफल वक्तियों का ध्यान से अध्ययन करें तो उनमें एक बात समान पाएगेंः- निपुणता! इनही बातों का आत्मिक क्षेत्र में भी प्रयोग होता है। जब आप परमेश्वर के वचनों का अध्ययन निपुणता के साथ में करते है और इसे अपने जीवन में प्रयोग करते है तो यह आपके आत्मिक जीवन को बेहतर बना देता है; फिर आप अपने आत्मिक जीवन में सफल होते है और आपकी सहभागिता परमेश्वर के साथ बेहतर बनती जाती है।
प्रार्थना और घोषणा
प्रभु मैं आपको धन्यवाद देता हूँ की आपने मुझे से निपुणता के विषय में बातें की। मैं घोषणा करता हूँ कि मैं परमेश्वर की क्षमता के द्वारा हमेशा अपने कार्य में निपुण बन सकता हूँ। मैं जो कार्य करता हूँ वह यीशु के लिए सोच कर निपुणता से करता हूँ और इसलिए मैं उसके अनुग्रह से सफल होता हूँ, यीशु के नाम से… आमीन!