यूहन्ना 6:32-33 में यीशु ने कहा, “…मुसा ने तुम्हें वह रोटी स्वर्ग से न दी, परन्तु मेरा पिता तुम्ीें सच्ची रोटी स्वर्ग से देता है। क्योंकि परमेश्वर की रोटी वही है, जो स्वर्ग से उतरकर जगत को जीवन देती है।” उसने यूहन्ना 6:49-50 में जोर देकर कहा, “…तुम्हारे बाप दादों ने जंगल में मन्ना खाया और मर गए। यह वह रोटी है जो स्वर्ग से उतरती है ताकि मनुष्य उस में से खाए और न मरें।” यहाँ वह अपने विषय में बात कर रहा था; वह जीवन की रोटी है!
परमेश्वर का वचन जीवन की रोटी है जो स्वर्ग से उतरी है; वचन शरीर बना। यीशु इसके बारें हमें यूहन्ना 6:51में बताता है। वह कहता है, “जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मै हूँ। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूँगा, वह मेरा माँस है।”
फिर 1 कुरिन्थियों 10:17 सामथ्र्यशाली सत्य को प्रकट करती है; यह बताती है, “इसलिये कि एक ही रोटी है सो हम भी जो बहुत हैं, एक देह हैंः क्योंकि हम सब उसी एक रोटी में भागी होते हैं।” अगर हम उसके साथ “एक रोटी” है, तो इसका मतलब यह होता है कि हम में उसका जीवन है, क्योंकि हम वचन से जन्में है(1पतरस 1:23), ठिक वैसे ही जैसे यीशु जो वचन था, देहधारी हुआ (यूहन्ना1ः14)। कुलुस्सियों 1:18 कहता है, “और वही देह अर्थात कलीसिया का सिर है;…” जो जीवन देह में है वह उस जीवन से जो सिर में है, अलग नहीं है। वह सिर है, और हम उसके शरीर; सिर और शरीर एक ही जीवन का भाग है।
इसलिए इसमें कुछ आश्चर्य नहीं कि 2 पतरस 1:4 कहता है कि हम ईश्वरीय स्वभाव, उसकी महिमा, उसकी धार्मिकता, उसका सेहत, सृमद्धि, सामथ्र्य और अधिकार के समभागी है! जब हम प्रभु भोज लेते है, तो हम यही अंगीकार करते है; यह हमारे एकता का उत्साह है; हम उसके माँस, हड्डि और शरीर का अंग है(इफिसियों 5:30)!
प्रार्थना और घोषणा
मसीह मेरा जीवन है! उसी में मैं रहता हूँ, चलता हूँ, और मेरा अस्तित्व है! मैं उसके शरीर का, उसके माँस का, और उसकी हड्डियों का अंग हूँ! मैं उसके जीवन, धार्मिकता, उसकी महिमा, समृद्धि स्वास्थ्य और प्रभुत्व का हिस्सा हूँ। मैं जो कुछ भी करता हूँ, उसमें सफल होता हूँ क्योकिं परमेश्वर का जीवन और स्वभाव मुझ पर कार्य करता है। यीशु के नाम से, आमीन!