मसीह होने के नातें सेवा का हर मौका महत्वपुर्ण है और परमेश्वर के राज्य में यह बहुत मायने रखता है। आपको यह पता होना चाहिए कि हम में से प्रत्येक लोग परमेश्वर को अपने जीवन का लेखा देंगे कि जो उसने हमें करने के लिए कहा था, उसका हमनें क्या किया ? सुसमाचार के सेवा में आपकी सहभागिता का लेखा आपको देना पड़ेगा। यही हमने अभी वचन में पढ़ा।
जब भी हम चर्च में किसी कार्य या फिर प्रोजेक्ट का हिस्सा बनते है तो हम कई महत्वपुर्ण वास्तविकता से बेखबर रहते है। असल में हमारी सोच कई बार शारिरीक होती है जिसके कारण कलीसियाँ की छोटी- छोटी कार्य हमें आत्मिक रूप से इतना महत्वपुर्ण जान नहीं पड़ती है। इसलिए लोग अपने आपको और अपने कार्य को जाचना नहीं चाहते है। इसलिए कई लोग यह भी नहीं सोचते की उनका व्यवहार ही प्रत्येकदिन उनका सदेंश है, जिसका हिसाब उन्हें परमेश्वर को देना पड़ेगा।
आपको याद रखना चाहिए कि आपकी सेवा जो परमेश्वर के लिए है और उसकी सेवा के लिए है, परमेश्वर की पुस्तक में लिखी जाती है। जी हाँ, आपका चर्च के प्रोजेक्ट में भाग लेना, आपका पासवान के साथ सुसमाचार सुनाने बाहर जाना, आपका भेंट डालना, आपकी हरेक शब्द, आपके जीवन का हरेक कार्य परमेश्वर के पुस्तक में लिखी गई है। इसलिए मैं हमेशा विश्वासीयों को उत्साहित करता हूँ कि परमेश्वर के किसी भी कार्य को हलके में न लें ! क्योंकि आपकी कहानी परमेश्वर के द्वारा लिखी जा रही है। आप उस कहानी के प्रेरणा है। उसकी योजना में आपकी कहानी पहले ही से लिखी गई है मगर आप भी अपने कार्य, व्यवहार और चुनाव से अपनी कहानी प्रत्येक दिन लिखते है।
एक दिन, जो परमेश्वर ने आपके लिए जीवन तैयार की थी और आपने कैसे उस जीवन को जीया, उसकी तुलना की जाएगी। उस समय आपका इनाम इस बात पर निर्भर करेगा कि आपने परमेश्वर की तैयार की गयी जीवन को कहा तक और किस कसौटी तक जीया ? दुखः की बात तो यह है कि बहुत से मसीही लोग परमेश्वर के द्वारा उनके लिए लिखी जीवन नहीं बल्कि अपने तरिके का जीवन जी रहे है। ऐसा जीवन परमेश्वर के महिमा से काफी दूर होता है।
आपके जीवन की सबसे महत्वपुर्ण चिज यह है कि आप इस बात को खोज ले कि परमेश्वर की योजना आपके प्रति क्या है और फिर उसे पुरा करें। इस संसार में परमेश्वर की सेवा करना और उसके लीए जीनें से बढ़कर और कोई चिज नहीं है। मसीह के लिए जीने से बेहतर और कुछ भी नहीं है। उसके बिना जीवन फिका हैः “और वह इस निमित्त सब के लिये मरा कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएँ परन्तु उसके जिये जो उनके लिये मरा और फिर जी उठा”(2कुरिन्थियों 5:15)।
प्रार्थना और घोषणा
मैं मसीह के साथ जिलाया गया हूँ, और मेरी चाहत जो चिजें ऊपर की है, जहाँ यीशु मसीह पिता के दाहिने ओर बैठा है। पिता, मैं आपसे बेहद ही प्यार करता हूँ और आपके लिए जीना ही मेरे जीवन का मकसद है। पिता, मैं आपके राज्य को इस पृथ्वी पर प्रकट करने वाला और आपकी धार्मिकता को यहाँ स्थापित करने वाला बन जाऊँ। आमीन !