विश्वास का संदेश

जब यीशु ने लोगो को अपनी सेवा दी, तो उसके सुननेवालों में विश्वास मानों जीवित हो गया हो। उसने लोगो को यह बताया की परमेश्वर कौन है, उसकी ईच्छा क्या है, और उसने उनके लिए पहले ही से क्या प्रबंध कर दिया है। उसने कहा, “माँगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढँूढ़ो तो पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा”(मत्ती 7ः7)। मरकुस 11ः22-23 में, उसने लोगो को यह कहते हुए सिखाया, “परमेश्वर पर विश्वास रखो। मैं तुम से सच कहता हूँ कि जो कोई इस पहाड़ से कहे, तू उखड़ जा, और समुद्र में जा पड़, और अपने मन में सन्देह न करे, वरन् प्रतीति करे कि जो कहता हूँ वह हो जाएगा, तो उसके लिये वही होगा।”


कभी किसी सदुकी या फिर फरीसी ने लोगो को परमेश्वर के विश्वास के विषय में और विश्वास से प्राप्त करने के विषय में इस प्रकार नही सिखाया। कई लोग उसके संदेश से सम्मोहित हो चुके थे, क्योंकि उसका संदेश उनके हृदय में परमेश्वर के लिए विश्वास को प्रेरित करता था। पहले उनका ऐसा विश्वास था कि परमेश्वर केवल उन्हें ही आशीष देता है जिसको वह चाहता है। उनको ऐसा लगता था कि परमेश्वर उनके बारें में ख्याल नहीं करता। मगर यीशु ने सीखाया कि परमेश्वर बिना किसी शर्त के सभी से प्रेम करता है, और उससे ग्रहण करने के लिए केवल एक ही चिज की जरूरत है, वह है विश्वासः “…विश्वास करनेवाले के लिए सब कुछ हो सकता है”(मरकुस 9ः23)।


जैसे जैसे लोगो ने उसे दुष्ट आत्मा निकालते, अंधो की आँखें खोलते, बहरो को ठिक करते, और यहाँ तक की मुर्दो को भी अपने अद्भुद अधिकार से जिंदा करते देखा, तो वे पिता के प्रेम को जो उनके प्रति थी समझने लगे। बाइबल बताती है कि जब उन्होंने उसके द्वारा चम्तकार देखे, तो उसके नाम विश्वास किया(यूहन्ना 2ः23)। यीशु के संदेश के द्वारा अब उनके लिए यह संभव हो गया था की जिस परमेश्वर को वह शारिरिक रूप से नहीं देख सकते थे, अब वे उस परमेश्वर से जुड़ सके। उसने अपने संदेश के द्वारा पिता को उनको ऊपर प्रकट किया।


उसी संदेश को प्रचार करने के लिए उसने हमें पुरे संसार में भेजा है। उसने यूहन्ना 20ः21 में कहा, “…जैसा पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूँ”। अगर आज आप किसी ऐसे स्थिति का सामना कर रहे है, जो आपके समाधान को चुनौती दे रही हो, तो आप चम्तकार के लिए परमेश्वर पर भरोसा कर सकते है। इससे कोई फ्रक नहीं पड़ता की चुनौती कौन सी है; केवल विश्वास करें! फिर चाहें आपकी र्गभ बंद हो, या फिर आपके शरीर में मृत्यु हो, या फिर आपका मरा हुआ व्यवसाय हो या फिर कोई दुसरी समष्या हो। वह एक ऐसा परमेश्वर है, जो मरे हुओ को जीवित करता है! वह मरें हुओ को जीवन देता है, और आपकी स्थिति में भी जीवन दे सकता है।


उसके संदेश पर विश्वास करें और अपनी परिस्थिति में उसे कार्य करने का मौका दे! मुझे विश्वास है, ऐसा कर के आप निराश नहीं होंगे बल्कि अपने परिस्थिति में परमेश्वर के जीवन को प्राप्त करेंगे।

प्रार्थना और घोषणा

प्यारे पिता, आप महिमा के परमेश्वर है। आपकी महिमा, महानता, आपका प्रेम और आपकी दया के लिए, मैं आपकी आराधना करता हूँ। मुझे मसीह में विजयी और महिमित जीवन देने के लिए आपको धन्यवाद; मैं हमेशा के लिए यीशु के नाम से विजय हूँ। आमीन!

पूरा हुआ!

जब भी आप आपके बीमार शरीर की चंगाई, असफल विवाह में पुणःस्थापना या फिर आपके धन बारें में बात आती है तो आप क्या सोचते है ? क्या आप एक ऐसे कार्य जो पुरी की गयी है उसे देखते है या फिर ऐसे कार्य को देखते है जिसको अभी भी पुरी की जानी बाकी है?

परमेश्वर चाहता है कि आप यह जाने कि आप जिस बात के लिए परमेश्वर को चाहते है वह उसने आपके लिए पहले ही पुरी कर दी है ! यीशु का क्रूस पर पुर्ण कार्य ने परमेश्वर पिता के दिल को इतना संतुष्ट कर दिया कि पृथ्वी पर यीशु के पुकार (पुरा हुआ)के प्रतिउतर में, स्वर्ग के सिंहासन से यह शब्द आया की “यह पूरा हो गया है!” (प्रकाशितवाक्य 16:17)। तो परमेश्वर चाहता ळे कि आपके पास यह प्रकाशन हो कि जिस काम को करने के लिए आप परमेश्वर से विनती कर रहे है, वह कार्य पहले ही पुरी हो चुकी है, क्योंकि यीशु मसीह ने आपके लिए उसे पुरा कर दिया है।

अगर आपको चंगाई चाहिए, तो जाने की आपकी चंगाई पूण्ज्ञ्र कर दी है अगर आप विवाह में पुणःस्थापना चाहते है, तो जाने आपका विवाह पुण स्ािापित हो चुका है आप किसी कमी के कारण नहीं मरेगें- आपके लिए बहुतआयत का प्रंबध कर दिया गया है हरेक चिजों को प्रंबध कर दी गयी है, आपके द्वारा नहीं मगर मसीह के द्वारा!

प्रियों, अगर आप अपने शरीर के किसी दर्द के कारण पीड़ीत है, तो परमेश्वर यह चाहता है कि आप देखें की चंगाई आपके लिए मसीह के द्वारा क्रूस प्रबंध कर दी गयी है। अगर आपने किसी को खोया है या फिर आप कर्ज में है, और या फिर किसी पाप से संघर्ष कर रहे हो, तो विश्वास करें कि आपका प्रबंध, पून: स्थापना और छुटकारा आपके लिए पुरी कर दी गयी है।

आप जो देखते है या महसुस करते ळे या फिर उस परस्थ्तिि के बारें में जो आपके विरूध है, में चिंता न करें। ये सभी झुठी लक्षण ळे और शायद यह आपको बहुत ही सच्ची जान पड़ती हो, मगर वे सभी तत्कालीन है और स्तय नही है परमेश्वर का वचन सत्य है और यह हमेशा के लिए रहेगी क्योंकि यह अनंत है और जब आप केवल वही विश्वास करते है जो परमेश्वर का वचन आपके परिस्थिति के लिए कहता है, तो हरेक झुठे लक्षण धीरे धीरे परमेश्वर के वचन के अनुसार हो जाते है।

पुत्र कहता है, “पुरा हुआ!”
पिता कहता है “पुरा हो चुका है”
आप क्या कहते है ?

प्रार्थना और घोषणा

पिता आपको धन्यवाद कि आपने मेरे मांगने से कही ज्यादा दिया है! आपने मेरे लिए, मेरे मांगने से पहले ही जुटा दी है। हरेक चिजेें जिसकी आवयश्कता मुझे अभी है, उसे आपने पहले ही मसीह यीशु में मेरे लिए पुरी कर दी है इसलिए मैं बुलंदी से कह सकता हूँ कि यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी! यीशु के नाम से, आमीन!

वह आपके लिए हमेशा तैयार है

क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ कि आप किसी काम के लिए बहुत वयस्त हो, और जब वह काम पुरा होने पर हो तो आपको पता चलता है कि अब बहुत देरी हो चुकी है? मनुष्य के रूप में हम अपने जीवन में समय में बंधे होते है। मगर यीशु जिसने समय बनाया है, वह समय में बंधा हुआ नहीं है। उसके पास हममें से हरेक लोगो के लिए समय है।


यहाँ तक की उसके पृथ्वी पर सेवा के समय में भी, उसके पास लोागे को सेवा देने के लिए समय था। जरा उसके उस सेवा के दिन को याद करें: जब वह आदमी जो दृष्ट आत्माओं से पीड़ित था, यीशु के पास गलाली देश से आकर उस तड़पते हुए आदमी को बचाने के लिए समय था। रास्ते में जब तुफान के कारण, उसके चेले चिल्लाने लगे, तो यीशु के पास उनको उत्तर देने और साहयता करने का समय था। उसने अपने गहरी नींद से उठकर तुफान को शांत किया।


उस दुष्ट आत्मा से ग्रस्ति वयक्ति को बचाने के बाद वह गलील को वापस गया, वहाँ याईर नामक वयक्ति सहायाता के लिए उसके पास आया। याईर की 12 साल की बेटी बीमारी से मरने वाली थी इसलिये याईर ने यीशु से विनती की उसके घर आकर उसकी बेटी को ठिक करें। यीशु उसके साथ आने को तैयार हो गया- यीशु के पास उसके लिए समय था। मगर रास्ते में, उसे एक महिला मिली जो 12 साल से लहू बहने के बीमारी से पीड़ीत थी, जिसने उसे चुपके से छुआ था ताकि वह चंगी हो जाए। याईर की बेटी मरने पर थी, मगर तब भी यीशु के पास समय था कि उस महिला को खोजे जिसने उसे छुआ था, ताकि उसे अपनी सेवा प्रदान करें।


जब वह उस महिला को अपनी सेवा दे रहा था, तो उस समय उसने याईर की बेटी की मृत्यु का समाचार प्राप्त किया। अब इसे देखें, साधरण रूप से यीशु को देर हो गयी थी। लेकिन तब भी उसने याईर को यह कहना “डरो नहीं केवल विश्वास रखो” समय की बर्बादी नहीं समझा। वह उस समय जल्दबाजी नहीं कर रहा था। उसने याईर के घर पर जाकर उसकी बेटी को मृत्यु में से जगाने के लिए अपना समय लिया।

वही प्यार करने वाले यीशु के पास आपके लिए समय है। वह आपके पुकार को सुनता है, वह आपके छोटे-बड़े समष्याओं का ख्याल करता है, और बचाने आता है। अगर वह वयस्त भी हो, तो वह आपके लिए रूककर आपको अपनी सेवा प्रदान करेगा। चाहे आपको यह भी लगे कि अब बहुत देर हो चुकी है, वह आकर आपकी समष्या देखेगा और आपको आपकी चमत्कार प्राप्त होगी!

प्रार्थना और घोषणा

प्यारे पिता, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ कि आपने अपने पुत्र को मेरे लिए प्रबंध कराया। वह मेरे लिए हमेशा उपलब्ध रहता है। चाहे मेरे जीवन में कोई भी समष्या क्योंकि न हो, मेरा समाधान केवल यीशु की ओर से आता है। यीशु इस संसार का मालिक होने के बावजुद मेरे लिए उपलब्ध रहता है। आमीन!

वह आपमें और आप उसमें

जब यीशु इस पृथ्वी पर चला, वह अपने पिता के साथ एकता में चला, और वह लगातार अपने पिता उपस्थिति के चेतना में रहा। जब उसने ऊपर लिखें वचन कहें, “…पिता मुझ में है…”, वह पवित्र आत्मा के विषय में बात कर रहा था। पवित्र आत्मा ही परमेश्वर की आत्मा है। वह एक रहष्यमय वायु या फिर एक प्रभाववित करने वाली आत्मा है नहीं है, जैसा की कुछ लोग सोचते है। वह स्वर्गीय पिता है जो आपके अंदर निवास करता है! वह आपसे दुर नहीं है।


अपनी चेतना में यह बात हमेंशा के लिए रख लें की आप अकेले नही है; आप पिता में है और पिता आप में है। आप उसके साथ एक है। 1कुरिन्थियों 6:17 आपके एकीकरण के बारें में बात करती है: “…जो प्रभु की संगति में रहता है, वह उसके साथ एक आत्मा हो जाता है।” इसलिए आप परमेश्वर के साथ अपने संबध का आंनद ले सकते है और उसके साथ एकता में चल सकते हैं। यीशु इसलिए आया की परमेश्वर पिता के साथ हमें एक महिमित संगति में ले आए।


परमेश्वर के पास हमें ऐसे जाने की जरूरत नहीं है कि मानों हम उससे बहुत दुर हो; वह आप में है और आप उसमें। 2 कुरिन्थियों 5:17 यह कहता है कि “…यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है…” आप मसीह में नए जन्म के द्वारा आए। इसलिए अब आप मसीह में है। फिर कुलुस्सियों 1:27 में हम पाते है कि मसीह आप में है। इसलिए यीशु के समान आप भी पिता में है, और पिता आप में पवित्र आत्मा के द्वारा है !


पवित्र आत्मा आपके अंदर है की वह आपको परमेश्वर की आशीषों के बारें में बताए और सीखाए की उसमें कैसे चले। उसके सेवा को अपने जीवन में समझना सीखें और फिर आपके जीवन में कोई डर, चिंता, या अंधकार नही रहेगी। उसके साथ आप हमेशा विजय और सफलता का जीवन जीऐंगे।

प्रार्थना और घोषणा


धन्य पवित्र आत्मा आपको धन्यवाद मुझे मेरे दैविक विरासत में लेकर चलने के लिए ताकी मै प्रभु में अपने जीवन के लक्ष्य को पुरा कर सकूँ। आप ही मुझे धार्मिकता में राज करवाते है, और शांति, समृद्धि, दैविक सेहत और महिमा की संगति देते है। मै सच में आपका अभारी हूँ। मेरे अंदर आपकी उपस्थिति मुझे एक साधरण मनुष्य से बढ़कर बनाती है, जो मेरे द्वारा आपकी महिमा को प्रकट करती है, यीशु के नाम से, आमीन !

संकट के बिच में विजय

आज जितनी बुराईया संसार में है उतनी है बुराईयां बाईबल के दिनों में भी थी। जो समाचार आज हमें मिडिया के द्वारा मिलती है भलें ही हमें बहुत ही अजीब और बुरी लगे मगर बाईबल हमें बताता है कि ऐसी बातें नई नही है। यह बहुत पहले से होती आ रही है।


पहले भी आर्थिक तंगी थी तो यह आर्थिक तंगी आज भी है, पहले भी बेरोजगारी थी और आज भी है। लोग पहले भी आंतकी हमलें के डर में जिते थे और लोग आज भी ऐसे ही भय में अपना जीवन वयतीत करते है। हमारा शत्रु वही पुराना पैतरा अपना कर हमें दबा कर रखना चाहता है। बल्की मुझे ऐसा बोलना चाहिए कि उसके पास कोई दुसरा तरकीब है ही नही, वह हमेशा वही पुरानी तरकीब अपनाता है।

मगर हमारा परमेश्वर हमेशा और हरेक पिढ़ीयों के लिए विश्वासयोग्य रहा है। संकट और अंधकार के बीच में वह अपने लोगो को विजय में अगुवाई करता आया है और अपनी प्रतिज्ञाए पुरी की है। इसलिये तो भजनकर्ता अपने भजन में यह कहता हैः मैं यहोवा की सारी करूणा के विषय सदा गाता रहूँगा, मैं तेरी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बताता रहूँगा।- भजन 89:1

इससे फ्रक नही पड़ता की मिडिया अपने समाचार के द्वारा कितना तबाही आपके जीवन में लाने की कोशीश कर रहा है, डरने से इन्कार कर दें। घबराए नहीं!


1यूहन्ना 4:4 कहता है कि: “हे बालको, तुम परमेश्वर के हो, और तुम ने उन पर जय पाई है; क्योंकि जो तुम में है वह उससे जो संसार में है, बड़ा है।” आपका स्वर्गीय पिता बहुत लम्बे समय से इस संसार के तकलिफ, बीमारी, परेशानी, आर्थिक तंगी और आतंक के कार्यो का खातमा करता आ रहा है। वह आपके समस्या को सुलझाने के प्रति हैरान और परेशान नही है। वह आपके जीवन को खुबसुरत बनाने के प्रति वयाकुल और चिंतित नही है।

फिर से पौलुस के इस उत्साहित करने वाले पत्र को पढ़े “…परमेश्वर का धन्यवाद हो जो मसीह में सदा हम को जय के उत्सव में लिये फिरता है…”– 2कुरिन्थियों 2:14। परमेश्वर ने मुसीबतों, आर्थिक तंगी, आतंक और प्रार्कतिक आपादाओं के बीच भी आपके लिए विजय, बढोतरी और भरपुरी तय कर दी है। संसार मे आपके इर्द-गीर्द क्या हो रहा है इससे अलग हट कर परमेश्वर ने आपके लिए सफलता तय कर दी है!

प्रार्थना और घोषणा

इस संसार में क्या हो रहा है उसका ध्यान किए बिना परमेश्वर ने मुझे सुरक्षित और स्वथ्य रखा है। मैं बहती नदियों के किनारें लगाए गए पेड़ के समान हूँ जिसके पत्ते कभी नही मुरझाते और अपने समय में फल लाते है। मैं सदा जय के उत्सव में चलता हूँ। मैं इस संसार के नियम पर निर्भर नहीं। धन्यवाद यीशु… आमीन!

महिमा और आदर से सम्मानित

कई लोग यह सोचते है कि मसीहत ने वह सबकुछ जो आदम और हव्वा के समय था, उसको पुनःस्थापित कर दिया, मगर यह सच नहीं है। जो अभी हमारे पास है वह उनसे कही अधिक महिमित है(2 कुरिन्थियों 3:10)। आपका नया जन्म प्राप्त करना, आदम के समान जन्म प्राप्त करना नहीं है। मगर अंतिम आदम, यीशु के समान जन्म प्राप्त करना है। वचन कहता है, “…प्रथम मनुष्य, अर्थात् आदम जीवित प्राणी बना और अन्तिम आदम, जीवनदायक आत्मा बना”(1 कुरिन्थियों 15:45)।


अब मैं चाहता हूँ की आप रोमियों 8:30 में शब्दों पर ध्यान दें “फिर जिन्हें उसने पहले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी; और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्भी भी ठहराया है; और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।” हम यहाँ पर नए प्राणी के लिए महत्वपूर्ण सच्चाईयाँ प्राप्त करते है, जो की मसीह के छुटकारें के कार्य के द्वारा सभंव हो सका। उन सच्चाईयों में से एक सच्चाई यह है कि आपको महिमा का मुकुट दिया गया है। जिसका अर्थ यह होता है कि आपको श्रेष्ठता और संदुरता का जीवन प्रदान किया गया है।


आगें 1पतरस 5:10 में हम पढ़ सकते है कि परमेश्वर ने हमें मसीह में अंनतकाल के महिमा में बुलाया है। यही सच्चाई हम 2 पतरस 1:3 में भी पाते है: “क्योंकि उसकी ईश्वरीय सामथ्र्य ने सबकुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है।” यह जानना कितना अद्भुद है कि हमें महिमित किया गया है। यह महिमा छोटी महिमा या फिर कम वाली महिमा नहीं है, मगर वही महिमा है जो यीशु के ऊपर है। उसने यूहन्ना 17:22 में कहा, “वह महिमा जो तू ने मुझे दी मैंने उन्हें दी है…”


हो सकता है कोई आपसे पुछे, “बाइबल रोमियों 3:23 में क्या यह नहीं कहती की सबने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित है” ? यह बात सच थी मगर यीशु के आने से पहले। हर कोई पाप के कारण परमेश्वर के महिमा से रहित था, मगर यीशु, अपने मृत्यु के द्वारा और पाप को क्रुस पर जड़ दिया और हमें महिमा तक ले आया; उस महिमा में नहीं जो आदम और हव्वा के पास थी मगर अपनी महिमा से उसने हमें भर दिया।

इब्रानियों 2:9 हमें बताती है कि कैसे परमेश्वर ने यीशु को महिमा और आदर का मुकुट दिया। फिर 1 युहन्ना 4:17 में हम पढ़ते है कि जैसा वह है, वैसे ही संसार में हम भी है। परमेश्वर के नाम को महिमा मिले ! उसने आपको यीशु के समान महिमा और आदर के मुकुट से परिपुर्ण किया है। आपका जीवन तिरास्कार के लिए नहीं है; यह तो महिमा, सुंदरता, श्रेष्ठता और आदर के लिए है।


प्रार्थना और घोषणा


मेरा जीवन श्रेष्ठता और महिमा से भरा हुआ है। मुझे आदर और महिमा दिया गया है और परमेश्वर का आंनद मेरे द्वारा बह रहा है। मुझ में मसीह हमेशा हमेशा के लिए महिमित हो रहा है। मेरा जीवन केवल उसके महिमा के लिए है। आमीन !

अपना ध्यान भटकने न दे!

नया जन्म पाने के द्वारा आप एक वातावरण में जन्म लेते है जिसका नाम है “मसीह”। मसीह एक वयतित्व और स्थान भी है। आप मसीह में है; और यह आपका रहने का स्थान है; आप परमेश्वर के बच्चे होने के नाते, इसी स्थान से कार्य करते है। आप मसीह में है, पवित्र आत्मा आपकी अगुवाई कर रही है मगर इसका मतलब यह नहीं होता है कि आपके आगे परिक्षाए नहीं आऐंगी; बहुत सी बातें आपको भटकाने आऐगी ताकी आपको परमेश्वर के बातों से दुर ले जाए; लेकिन आपको अपना ध्यान बहुत ही केंद्रित रखना चाहिए और भटकने से ईन्कार करना चाहिए।


जीवन के यात्रा में बहुत से बातें आपका ध्यान भटकाने की कोशीश करेगा। हो सकता है कि यह आपकी आर्थिक चिंता हो, एक ऐसी बीमारी जिसका चिकित्सा विज्ञान के पास कोई ईलाज न हो, आपके परिवार की चिंता, आपकी नौकरी और व्यवयसाय की चिंता, सुरक्षा की चिंता, आदि। मगर आपको परमेश्वर के वचन पर ध्यान लगाने का चुनाव लेना चाहिए। अपना भरोसा परमेश्वर पर और उसके कभी असफल न होने वाले वचन पर लगाए।


दुनिया और मसीह के बीच एक स्पष्ट अंतर करने के द्वारा अपने जीवन के लिए परमेश्वर के लक्ष्य को पुरा करने के लिए खुद को निर्धारित करें। इस संसार में इस संसार के वयक्ति के समान न जीए; यीशु ने यूहन्ना 15:19 में कहा “…तुम संसार के नहीं…”


आपको इस संसार में ऐसे जीना चाहिए जैसे बाइबल में अब्राहम और दुसरे विश्वास के नायक लोग जीते थे। इब्रानियों 11:13-16 कहता है कि “ये सब… मान लिया, कि हम पृथ्वी पर परदेशी और बाहरी हैं। जो ऐसी ऐसी बातें कहते हैं, वे प्रगट करते हैं, कि स्वदेशी की खोज में हैं। और जिस देश से वे निकल आए थे, यदि उस की सुधि करते तो उन्हें लौअ जाने का अवसर था। पर वे एक उत्तम अर्थात स्वर्गीय देश के अभिलाषी हैं…” उन्होने अजनबी के रूप में अपना जीवन बीताया; उन्होनें इस संसार के नागरिक के रूप में अपना जीवन नही बीताया; उनका जीवन इस संसार के कार्य प्रणाली पर अधारित नहीं था।


इस संसार के सिंद्धातों पर चलने से इन्कार कर दे। आपकी नागरिकता स्वर्ग की है, ना कि इस संसार की। फिलिप्पियों 3:20 कहता है “पर हमारा स्वदेश स्वर्ग का है…”

प्रार्थना और घोषणा

प्यारे पिता, मैं मसीह में मेरे जीवन, महिमा, सफलता और विजय के लिए धन्यवाद करता हूँ। मेरी प्राथमिकता आपके वचन और आपकी इच्छा को इस पृथ्वी पर स्थापित करना है;इसलिये मैं विचलित होने से इन्कार करता हूँ। यीशु के नाम से, आमीन!

जीवित और प्रबल वचन

परमेश्वर का वचन हमें बताता है कि परमेश्वर का वचन मृत्यु के विपरित है- यह जीवित और प्रबल है। यही कारण है कि जब यीशु बीज बोंने वाले का दृष्ंटात दे रहा था, तो उसने कहा कि जब बीज बोंने वाले वचन बोया, “…तो शैतान तुरन्त आकर वचन को जो उनमें बोया गया था, उठा ले जाता है” (मरकुस 4:15)।

क्या आपने इस पर ध्यान दिया ? शत्रु तुरन्त आता है ! यहाँ पर यीशु मार्ग के किनारें बोये गए बीज के बारें में बात कर रहे है। लेकिन मैं चाहता हूँ कि आप इस सिंध्दात को समझे कि आपका शत्रु आपके अंदर से वचन का बीज चुराना चाहता है, क्योंकि वह नहीं चाहता है कि आप विश्वास करें और बचाऐं जाए।

शैतान को पता है कि जिस समय आप परमेश्वर के वचन पर भरोसा करते है, आप बचाए जाते है। यही कारण है कि वह सबकुछ करने को तैयार है कि आपके अंदर परमेश्वर का वचन जड़ न पकडे़ ! डसको पता है कि अगर आप परमेश्वर के वचन पर लम्बें समय तक बनें रहेंगे तो आपकी जीत और उसकी हार होगी !

जो शब्द उद्धार के लिए युनानी भाषा में इस्तेमाल किया गया है कि वह शब्द “सोजो” है। जिसका अर्थ, “दर्द से बचाया जाना, बर्बाद होने से बचाया जाना” हैं । उदाहरण के लिए, एक वयक्ति जो बीमारी से ग्रस्ति है, उसको ठिक करने के लिए, उसकी सेहत को पुनःस्थापित करना।

शत्रु को परमेश्वर के वचन का सामथ्र्य का ज्ञान है। क्या आपको यह ज्ञान है ?

हो सकता है कि जिस चंगाई के लिए आप विश्वास कर रहे हों वह आपको तत्काल न दिखें, विश्वास करना सीखें की वह आपके उपर प्रकट होने पर है। अगर आप चंगाई के ईन्तेजार में निराश हो रहे है, तो परमेश्वर की प्रतिज्ञा को आपके जीवन में सामथ्र्य देने देः

“जिस प्रकार से वर्षा और हिम आकाश से गिरते हैं और वहाँ यों ही लौट नहीं जाते, वरन् भूमि पर पड़कर उपज उपजाते हैं जिस से बोनेवाले को बीज और खानेवाले को रोटी मिलती है, उसी प्रकार मेरा वपनच भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।”– यशायाह 55:10-11

परमेश्वर का चंगाई का वचन इतना सामथ्र्यशाली है कि वह बिना कार्य किए वापस नहीं लौटेगा, उसे जिस कार्य के लिए आपके जीवन में भेजा गया है, वह उसे पुरा करेगा। हो सकता है कि आप प्रभु भोज में शामिल हुए होंगे और आपने आपने प्रार्थना की होगी मगर कुछ होता नजर न आ रहा हों। हो सकता हो की आपको लगें की आप केवल एक उतार चढाव से होकर गुजर रहे है और कुछ जीवन में कुछ प्रकट होता नजर नही आ रहा है। ऐसे हालात में आप क्या करेंगे ?
परमेश्वर के वचन को उसके वचन के बारीश से पानी देेते रहे। हार न मानें। आपके कटनी का समय निकट आ रहा है !


प्रार्थना और धन्यवाद


पिता, आपके वचन के लिए धन्यवाद ! आपके वचन से मैंने जीवन पाया है। परमेश्वर का वचन मुझ में दिन -रात कार्य करता है। मैं उसके वचन के द्वारा ही विजय होता हूँ। परमेश्वर का जीवित और प्रबल वचन मेरे शरीर के हरेक अंगो में यीशु की चंगाई और उसके दैविक सेहत को लेकर आती है। आमीन !

परमेश्वर मनुष्य को अभिषेक करके भेजता है

कई लोग सोचते है कि परमेश्वर लोगो को नही पर स्वर्गदुतों को भेजता है। ऐसा बिलकुल भी नहीं है! अभी जो हमनें वचन पढ़े है वह कहता है कि “एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ” अगर वह बाईबल के दिनों में मनुष्य को भेज सकता है, तो वह आज भी मनुष्य को भेज सकता है, क्योंकि वह बदलता नहीं।


जब परमेश्वर के लोग किसी भी शहर या देश के लिए यह विनती करते है कि वह देश और शहर बदल जाए, तो परमेश्वर खुद निचे आकर लोगो को बदलने का काम नहीं करता है। मगर वह मनुष्यों को भेजता है कि जाकर उसका वचन प्रचार करें जिससे की उसका कार्य उस देश और शहर में हो। जब भी वह लोगो की मदद् करना चाहता है तो वह किसी मनुष्य को अभिषेक कर के भेजता है। एक बार जब उसे लोगो की मदद् करनी थी तो उसने अपने बेटे यीशु को अभिषेक कर के मनुष्य के रूप में भेजा। एक बार सामरिया के शहर में आंनद लाना था तो उसने फिलुप्पुस को उस शहर में भेजा (प्रेरित 8:5-8)

होशे 12:13 कहता है, “एक भविष्यद्वक्ता के द्वारा यहोवा इस्त्राएल को मिस्त्र से निकाल ले आया, और भविष्यद्वक्ता ही के द्वारा उसकी रक्षा हुई।” इस वचन को ध्यान से देखे यहाँ यह नही लिखा है कि यहोवा ने उनकी रक्षा स्वर्गदुतों को भेज कर की। आखीर भविष्यद्वक्ता के द्वारा ही क्यों? इसका मुख्य कारण यह की परमेश्वर का अभिषेक केवल मनुष्य के द्वारा ही ले जाया सकता है, क्योंकि केवल मनुष्य ही उसके रूप और समानता में बना है। परमेश्वर उन पुरूषों और महिलाओं को अभिषेक करता है जिसको वह आपके पास भेजता है। वह चाहता है कि आप ऐसे लोगो को पहचाने, क्योंकि ये लोग आपके जीवन में आशीष ला सकते है।


जिनको भी परमेश्वर आपके जीवन में भेजता है वे परमेश्वर का अभिषेक अपने जीवन में लिए आपके पास आते है जिससे के वे आपके जीवन में आशीष ला सके। जैसे की पासवान अपने बुलाहट में चलते है पर उनकी बुलाहट आपके जीवन में आशीष लेकर आती है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि आप एक अच्छे कलिसिया के एक अच्छे सदस्य बनें, जहा आप परमेश्वर के वचन को लगातार सीखतें है।

जब आप मसीह को अपने दिल में बुलाते है और उसको ग्रहण करते है, तो वह आपके आत्मिक जीवन के अगुवाई के लिए एक पासवन को भेजता है। ऐसे वयक्ति परमेश्वर के द्वारा अभिषेक किए हुए होते है जो आपके जीवन में परमेश्वर के वचन को लाने वाले होते है, जिससे की आप अपने जीवन के हरेक परेशानी में विजय हासील कर सकें। 2 इतीहास 20:20 बताता है “…अपने परमेश्वर यहोवा पर विश्वास रखो, तब तुम स्थिर रहोगे, उसके नबियों की प्रतीति करो, तब तुम कृतार्थ हो जाओगे।” हो सकता हो कि आप किसी मुसीबत में फसें हो,मगर परमेश्वर की बातें जो उसके जन की ओर से आती है, आपको आपके मुसीबत से बाहर निकालेगी और आपको चट्टान पर खड़ा करेगी।

प्रार्थना और घोषणा

पिता आपको धन्यवाद, क्योंकि मेरे अंदर आपकी शिक्षाओं को मानने की ईच्छा है। आपका वचन मेरा जीवन है, आपके वचन के द्वारा मैं हमेशा सही रास्तों पर चलता हूँ। आपकी शिक्षा मुझे हमेशा धार्मिकता के पथ पर लेकर चलती है, यीशु के नाम से.. आमीन!

उसके महिमा को अपने अंदर बढ़ाए!

परमेश्वर के बच्चे होने के नाते, उसकी महिमा आपके जीवन में है, और जैसे जैसे आप उसके वचन पर मन्न करते है और जीते है, उसकी महिमा आपके अंदर बढने लगती है। यही कारण है कि हम विश्वासीयो को चर्च जाने के लिए उत्साहित करते है। हरेक बार जब आप चर्च में या फिर किसी संगती मेें होते है और वहाँ प्रचार किए गए वचन को सुनते है, तो आपके जीवन में उसकी महिमा बढनें लगती है। और जब आप उस मिटिंग से अपने घर वापस आते है, तो आप खाली नही मगर पहले से भी महान महिमा को प्राप्त करके लौटते है।


यही बाते तब भी होती है जब आप अपने एंकात समय में परमेश्वर के वचन पर मन्न और अध्ययन करते है; परमेश्वर की महिमा जो आपके अंदर है और भी महिमित हो जाती है। बेशक, आपकी आत्मा में परमेश्वर की महिमा आपके इंद्रियों के लिए स्पष्ट नहीं होगी, मगर इसका प्रभाव आपके जीवन में अचूक है। उसकी महिमा हमारें जीवन में सामथ्र्यशाली और अद्भुद है; हाँ यह जरूर है कि यह सबके लिए समान नहीं है। कुछ मसीहीयो में उसकी महिमा का प्रकटीकरण दुसरे से ज्यादा होता है; यह निर्भर करता है कि आप कितना उसके वचन को अपने अंदर कार्य करने देते है! यह उसके वचन पर निर्भर करने और उसके वचन पर चलने के विषय में है।

2कुरिन्थियों 3:18 कहता है कि “…हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते है।” परमेश्वर का वचन हमारे जीवन में यही करता हैः जैसे हम परमेश्वर के वचन को देखते है, हम तब्दील होने लगते है; हमारी महिमा बढ़ने लगती है। हम जीतना ज्यादा परमेश्वर के वचन पर मन्न करते है, उतना ही ज्यादा महिमित होने लगते है।

अभी भी, आप पहले से कही ज्यादा महिमित है, क्योंकि आप अभी परमेश्वर के वचन के साथ “डोमिनियन वर्ड फाँर टूँडे” के द्वारा संगती कर रहे है। और जब आप आज अपने कार्य, व्यव्यसाय और वातावरण में निकलेंगे तो आप उसके महान महिमा को लेकर जाऐंगे। इस संसार को उसके महिमा से प्रभावित करें। उसके महिमा को अपने अंदर, संगती, वचन अध्ययन और मन्न के द्वारा बढाऐं।

प्रार्थना और घोषणा

प्यारे पिता, मैं अपनी आत्मा में आपकी महिमा के लिए आपको धन्यवाद देता हूँ, जो तब बढता जाता है, जब मै आपके वचन पर मन्न करता हूँ, और मसीह में अपने वीरासत में जीता हूँ। मैं प्रत्येक दिन मसीह की महिमा को जो मेरी आत्मा में है, संसार पर प्रकट करते हुए विजय जीवन जीता हूँ। यीशु के नाम से, आमीन!