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विश्वास और सामर्थ्य

  • August 14, 2020
  • 3 Comments
इफिसियों 3:14-16

"मैं इसी कारण उस पिता के सामने घुटने टेकता हूँ, जिस से स्वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक घराने का नाम रखा जाता है, कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्व में सामर्थ्य पाकर बलवन्त होते जाओ।"

यह अद्भुत प्रर्थाना पवित्र आत्मा पौलुस के द्वारा कलिसिया के लिए कर रहा था! वह प्रार्थना करता है कि उसके महिमा के धन के अनुसार, आप अपने भीतरी मनुष्यत्व में सामर्थ्य पाएं। यहा यह शब्द “सामर्थ्य” का मतलब है:आलौकिक कार्य करने की योग्यता। परमेश्वर हममें से हरेक लोगो के लिए चाहता है कि हम उसके आलौकिक कार्य करने की योग्यता में जीएं, जिसका मतलब होता है कि हममें से कोई भी जन समान्य नहीं है और किसी भी जन को समान्य जीवन नहीं जीना चाहिएं। वह आपको अंदर से सामर्थ्य देना चाहता है, ताकी आप एक आलौकिक जीवन जी सके।

आपको अपने सामर्थ्य की कमी या फिर अक्षमता पर कुरकुराने की जरूरत नहीं है, आपको अपने आगे खड़ी स्थिति से डरने की जरूरत नहीं है। बल्की आपकी किसी भी चिजों के लिए अपना दिल छोटा करने की जरूरत नहीं है। परमेश्वर ने अपने वचन में, जो कि हमनें उपर पढ़े है, अपनी ईच्छा प्रकट कर दी है! उस वचन में जीएं। चाहें परिस्थ्तिि कुछ भी क्यों ना हों कहे “मैं सामथ्र्यशाली हूँ!” हमेंशा अपने अंदर विश्वास और सामर्थ्य की घोषणा करते ही रहें।

परमेश्वर के वचन को प्रत्युत्तर ऐसे ही दिया जाता है। परमेश्वर ने हमें अपना वचन केवल सुनने के लिए या फिर याद करने के लिए ही नहीं दी है। उसने हमें अपना वचन इस्तेमाल करने के लिए और उस पर जीने के लिए दिया है। हमें उसके वचन को अपने जीवन से प्रत्युत्तर देना ही पड़ेगा। आपको उसके वचन से सहमत होकर कहना होगा “मैं अंदर से सामर्थ्य पा रहा हूँ और हरेक दिन मजबुत हो रहा हूँ। “मैं कमजोर नहीं हूँ” “पवित्र आत्मा मुझ में रहता है इसलिये मैं विजय के लिए हमेशा जोश से भरा रहता हूँ”, आमोस 3:3 कहता है “यदि दो मनुष्य परस्पर सहमत न हों तो क्या वे एक संग चल सकेंगे?” इसलिए जब परमेश्वर वचन में आप के लिए कुछ कहता है तो आप भी वैसे ही बोलें जिसके की आपके लिए परिणाम आने शुरू हो जाऐेंगे।

जो भी परमेश्वर आप से कहता है, वह आपके के फायदें के लिए कहता है और उसमें आपकी सहमती जरूरी होती है जिससे की उसका वचन आपके जीवन में फल ला सकें। इसलिए उसके वचन को भला प्रत्युत्तर दें। हमेशा अपने अंदर की सामर्थ्य की बात करें, और फिर आपका विश्वास आपके अंदर जागने लगेगा और आप अपनें शत्रु को हरा सकेंगे।

प्रार्थना और घोषणा

पिता, मुझे सामर्थ्य और विश्वास से भरने के लिए आपको धन्यवाद! मैं आपके आत्मा के द्वारा हरेक दिन सामर्थ्य के कार्य को करता हूँ। आपकी आत्मा मुझ में है इसलिये मैं कमजोर नही। मैं सामर्थ्यशाली है! मैं विजय से बढ़कर हूँ ! मैं विश्वास से भरा हुआ हूँ, यीशु के नाम से…आमीन!

Comments (3)

3 thoughts on “विश्वास और सामर्थ्य”

  1. धन्यवाद करते हैं पिता परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं प्रभु यीशु को कि उन्होंने अपने सामर्थ्य के द्वारा हमें वह आलोकित की शक्तियां दी हैं जो हम इस समय किसी भी प्रकार की अंधकार की शक्तियों से लड़ने के लिए खड़े हो सकते हैं हां जब हम उस पर विश्वास करते हैं तो उसी आलो की शक्तियों में हम बढ़ते जाते हैं जो परमेश्वर हमें वरदान के द्वारा दी हैं हम धन्यवाद करते हैं परमेश्वर का कि उन्हें हमें हर एक को अंधकार की शक्तियों से लड़ने की सामर्थ्य बल दिया है हमें जो विश्वास यह सुपर किया है उसी विश्वास के द्वारा हमारे जीवन के अंदर वह शक्तियां अलौकिक शक्तियां हमारे जीवन में आती है ताकि हम अंधकार से लड़ सके और इस जीवन को आनंद बना सकें जय मसीह की आमीन

  2. Halelluya 🙌🙌🙌🙌 ghoshna jaruri hai thank you father for wonderful word🙏

  3. Glory to God parmeshwar ka vachan hamare jivan me bahut mahtva purn hai

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