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यीशु के वचन

  • June 23, 2021
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यूहन्ना 6ः63

"जो बातें मैं ने तुम से कही हैं वे आत्मा है, और जीवन भी हैं।"

यीशु का वचन जीवन देने वाला वचन है। उसके वचन सामथ्र्य से भरपुर है जो मरे हुए मे फिर से जीवन ला दे, जो अंधे को फिर से रोशनी दे और शक्तिहिन को बिलकुल नया बना दें। जब वह इस पृथ्वी पर था, तो एक अजुबा था! बाइबल हमेें बताती है कि “…भीड़ के लोग उसकी आनन्द से सुनते थे” (मरकुस 12:37)। उसका वचन हरेक तबके के लोगो के मुसीबत और बेहाली का समाधन था। कोई भी उसको सुनने के बाद एक समान नहीं रहता।


उसका वचन अटल था, बहुत ही सामथ्र्यशाली था, अनुग्रह से भरा हुआ था, प्रेेम से भरा हुआ और दैविक था! वह ऐसे अदभुत साहस और सामर्थ्य से बातें करता की ज्ञानीयों और अधिकारियों को भी उससे चुनौतिया मिलती।

जब कुछ अधिकारियों को इसलिए भेजा गया कि वे यीशु को गिरफ्तार कर ले, तो वे खुद यीशु के वचन से गिरफ्तार हो गए । वे यीशु के वचन और उसकी शिक्षा में ऐसे खो गए की अपने मिशन को ही भुल गए। जब उनसे पुछा गया कि वे खाली हाथ क्यों लौटे है, तो उन्होंने बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी की“…किसी मनुष्य ने कभी ऐसी बातें नहीं की”(यूहन्ना 7:46)।


याद है, उसने अपने बारें में क्या कहा? जैसा वह है, वैसे ही हम भी इस संसार में है। उदाहरण के लिए, उसने कहा “मैं संसार का नहीं”; अपने आप को ऐसे ही देखे और ऐसा ही बोलें। उसने कहा, “मैं और पिता एक हैं”(यूहन्ना 10:30); अपने मुँह से यही अंगीकार करें। उसके वचन का अध्ययन खुद करें, क्योंकि यीशु का प्रकाशन नऐ प्राणी का प्रकाशन है। उसने कहा, “…तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो…यह वही है जो मेरी गवाही देता है”(यूहनना 5:39)। उसमें ही आप अपने आप को देखते है! और उसी के समान, आपके शब्द भी है; जीवन और आत्मा !

प्रार्थना और घोषणा

परमेश्वर, मैं धन्यवाद देता हूँ कि आपका वचन मेरे मुँह में है, वे सच में ही जीवन है। जैसा यीशु है, मै भी हूँ; इसलिए मैं जो शब्द बोलता हूँ वे आत्मा और जीवन है। अभी भी, मैं घोषणा करता हूँ की आपकी धार्मिकता की प्रगटीकरण मेरे जीवन से संबधित हरेक बातों में प्रकट हो रही है। यीशु के नाम से, आमीन !

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