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खजाना या फिर मुसीबत?

  • September 3, 2020
  • 3 Comments
1कुरिन्थियों 16:9

"क्योंकि मेरे लिये एक बड़ा और उपयोगी द्वार खुला है, और विरोधी बहुत से है।"

पौलुस प्रेरित ऊपर के वचन में कह रहा है कि उसके लिए एक बड़ा और उपयोगी मौका सेवा के लिए इफिसुस में मिला था। मगर यह मौका विरोधो मे मिला था। वह अपने आत्मा मे बहुत ही संवेदनशील था; वह केवल मौके को नही देख रहा था मगर उसने अपने आत्मा में वहा की बहुत सारी विरोध भी देख ली थी। मानों यह काटों के बीच में खजाना खोजना हों; यह एक प्रकार का जाल भी है। अगर आपको खजाना लेना ही है तो आपको यह भी जानना जरूरी है कि उस विरोधीयों का क्या किया जाए।


जिन विरोधियो का पौलुस यहाँ चर्चा कर रहा है वह कोई आम विरोधी नही थे; वे तो उग्र थे! जब उसने पत्र लिखा तो वह कहता है, ”हे भाइयों, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्लेश से अनजान रहो, जो आसिया में हम पर पड़ा, कि ऐसे भारी बोझ से दब गए थे, जो हमारी सामथ्र्य से बाहर था, यहाँ तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे”(2कुरिन्थियों 1:8)। फिर वह 1कुरिन्थियों 15:32 में कहता है कि, वह इफिसुस में वन पशु से लड़ा; “यदि मैं मनुष्य की रीति पर इफिसुस में वन-पशुओं से लड़ा…”


वह अनुभव तो जानलेवा थी, मगर पवित्र आत्मा की अगुवाई की मांग की वजह से पौलुस उन पर विजय हुआ। पौलुस ने ऐसी तीव्रता और जोश के साथ इफिसुस में सुसमाचार प्रचार किया कि वचन गवाही देता है कि “प्रभु का वचन बल पूर्वक फैलता गया और प्रबल होता गया”(प्रेरित 19:20)। परमेश्वर ने जो हमारे लिए रखा है, उसको प्राप्त करने के लिए हमें बहुत कुछ सिखने की जरूरत है। आपको उसकी आत्मा की अगुवाई में हमेशा जीने की जरूरत है। परमेश्वर ने अपनी आत्मा हमे, हमारे जीवन के हरेक मामलों साहयता प्रदान करने के लिए दि है।


कोई भी काम लेने से पहले, या किसी व्यवसाय में जाने से पहले,या फिर कोई बड़े कदम उठाने से पहले उसकी अगुवाई लेना न भुले। उसे आपकी अगुवाई करने दे और आपकी भविष्य की बातें आपको दिखाने दें। अन्यभाषा में लगातार बात करें, क्योंकि खजानें के पीछे घात में बैठने वाला आपका विरोधी भी हो सकता है। लेकिन जैसे आप पवित्र आत्मा के साथ संगति करेंगे, वह आपकी अगुवाई करेगा ताकि आप अपने विरोधी- रोक, चाल और मुसीबत को पहचान जाए।

Comments (3)

3 thoughts on “खजाना या फिर मुसीबत?”

  1. Thank you paster ji aur thank Jesus,,parmeshwar hme uchaee m rkhna chahta h oo chahta h ki hm hmesa unti m rhe thank you parbhu,, hallelujah parmeshwar ki mhima ho

  2. धन्यवाद पिता परमेश्वर को धन्यवाद प्रभु यीशु को हमें वचन के अनुसार से परमेश्वर के प्रेम को हमें समझना चाहिए और प्रभु में हमें बना रहना चाहिए ताकि उसकी आत्मा के द्वारा अंधकार की हर एक चाल का हम पता लगा और उस से लड़ सके लेकिन उससे कब लड़ेंगे जब हम परमेश्वर के अनुग्रह में रहेंगे उसकी आज्ञा में चलेंगे तो इसीलिए हमें परमेश्वर को अपने आगे रखकर चलना है हर एक बातों में उसके वचन को थामे रहना है। ( आमीन। )

  3. धन्यवाद करते हैं पिता परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं प्रभु यीशु को और हमें जो परमेश्वर ने जो वचन दिया इस वचन को थामे रहना है और उसी में चलना है ताकि उसके द्वारा अंधकार से हम लड़ सकें हालेलुया ( आमीन। )

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