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उसके महिमा को अपने अंदर बढ़ाए!

  • August 21, 2020
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2कुरिन्थियों 3:18

"परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं।"

परमेश्वर के बच्चे होने के नाते, उसकी महिमा आपके जीवन में है, और जैसे जैसे आप उसके वचन पर मन्न करते है और जीते है, उसकी महिमा आपके अंदर बढने लगती है। यही कारण है कि हम विश्वासीयो को चर्च जाने के लिए उत्साहित करते है। हरेक बार जब आप चर्च में या फिर किसी संगती मेें होते है और वहाँ प्रचार किए गए वचन को सुनते है, तो आपके जीवन में उसकी महिमा बढनें लगती है। और जब आप उस मिटिंग से अपने घर वापस आते है, तो आप खाली नही मगर पहले से भी महान महिमा को प्राप्त करके लौटते है।


यही बाते तब भी होती है जब आप अपने एंकात समय में परमेश्वर के वचन पर मन्न और अध्ययन करते है; परमेश्वर की महिमा जो आपके अंदर है और भी महिमित हो जाती है। बेशक, आपकी आत्मा में परमेश्वर की महिमा आपके इंद्रियों के लिए स्पष्ट नहीं होगी, मगर इसका प्रभाव आपके जीवन में अचूक है। उसकी महिमा हमारें जीवन में सामथ्र्यशाली और अद्भुद है; हाँ यह जरूर है कि यह सबके लिए समान नहीं है। कुछ मसीहीयो में उसकी महिमा का प्रकटीकरण दुसरे से ज्यादा होता है; यह निर्भर करता है कि आप कितना उसके वचन को अपने अंदर कार्य करने देते है! यह उसके वचन पर निर्भर करने और उसके वचन पर चलने के विषय में है।

2कुरिन्थियों 3:18 कहता है कि “…हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते है।” परमेश्वर का वचन हमारे जीवन में यही करता हैः जैसे हम परमेश्वर के वचन को देखते है, हम तब्दील होने लगते है; हमारी महिमा बढ़ने लगती है। हम जीतना ज्यादा परमेश्वर के वचन पर मन्न करते है, उतना ही ज्यादा महिमित होने लगते है।

अभी भी, आप पहले से कही ज्यादा महिमित है, क्योंकि आप अभी परमेश्वर के वचन के साथ “डोमिनियन वर्ड फाँर टूँडे” के द्वारा संगती कर रहे है। और जब आप आज अपने कार्य, व्यव्यसाय और वातावरण में निकलेंगे तो आप उसके महान महिमा को लेकर जाऐंगे। इस संसार को उसके महिमा से प्रभावित करें। उसके महिमा को अपने अंदर, संगती, वचन अध्ययन और मन्न के द्वारा बढाऐं।

प्रार्थना और घोषणा

प्यारे पिता, मैं अपनी आत्मा में आपकी महिमा के लिए आपको धन्यवाद देता हूँ, जो तब बढता जाता है, जब मै आपके वचन पर मन्न करता हूँ, और मसीह में अपने वीरासत में जीता हूँ। मैं प्रत्येक दिन मसीह की महिमा को जो मेरी आत्मा में है, संसार पर प्रकट करते हुए विजय जीवन जीता हूँ। यीशु के नाम से, आमीन!

Comments (1)

One thought on “उसके महिमा को अपने अंदर बढ़ाए!”

  1. पिता परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं और हमारे आत्मिक पिता को भी धन्यवाद करते हैं कि उनके द्वारा जो उनका ज्ञान परमेश्वर के ज्ञान के द्वारा हम प्रभु की सामर्थ में और बढ़ते जाते हैं जब हम प्रभु पर विश्वास करते हैं तो इस विश्वास के द्वारा उनकी सामर्थ हमारे आत्मा प्राण शरीर को छूने लगती हैं और उसी के छूने से हम सामर्थ्य साली बनते जाते हैं तो इसीलिए हमें परमेश्वर के वचनों को मगन करते रहना चाहिए और अध्ययन करता रहना चाहिए और परमेश्वर की सामर्थ में हमें और भरता रहना चाहिए यीशु के नाम से ( आमीन। )

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