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अपनी लाठी उठाए

  • June 30, 2020
  • 4 Comments
निर्गमन 14:15-16

"तब यहोवा ने मूसा से कहा, क्यों मेरी दोहाई दे रहा है? इस्त्राएलियों को आज्ञा दे कि यहाँ से कूच करें। और तू अपनी लाठी उठा कर अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा, और वह दो भाग हो जाएगा; तब इस्त्राएली समुद्र के बीच होकर स्थल ही स्थल ही स्थल पर चले जाएँगे।"

आज मसीह के देह मे यह समष्या नहीं है कि हम प्रार्थना नहीं कर रहे है। हम प्रार्थना कर रहे है। मगर हम में से ज्यादातर लोग निराशा की प्रार्थना कर रहे है। हम प्रार्थना कर रहे है, “परमेश्वर मेरी साहयता करें…, कृप्या कर मेरी समष्या के लिए कुछ तो करे!”


शायद आप ऐसी प्रार्थना के विषय जानते हो और ऐसी प्रार्थना भी की हो। मगर परमेश्वर के लोग, इस बात को समझे की परमेश्वर नही चाहता है कि आप हमेशा निवेदन वाली प्रार्थना करते रहे। वह चाहता है कि आप उसके दिए गए अधिकार को सामथ्र्यशाली प्रार्थना में प्रयोग करें, कि आप हाथ बढाऐं और अपने चम्तकार को होता देखें।


जब लाल संमुद्र के पास फिरौन की सेना इस्त्राएलीयों के पिछे पड़ी थी, तो बाइबल बताती है कि मुसा परमेश्वर के सामने दोहाई देने लगा था। लेकिन परमेश्वर ने कहा, “तु मेरी दोहाई क्यो देता है?” एक समय है जब आप परमेश्वर के सामने रोते है और फिर एक समय ऐसा भी है जहा आप अपने अधिकार का प्रयोग करते है। परमेश्वर ने मुसा से कहा, “इस्त्राएलीयो से कहो की वे आगे बढें”। लेकिन अपने लाठी को उठाओ, और अपने हाथ संमुद्र को दो भाग करने के लिए बढाओं।

आज आपकी वह “लाठी” प्रभु यीशु का नाम है। जैसे आप यीशु के नाम से आज्ञा देंगे आपका संमुद्र खुल जाएगा और आप अपने मुसीबतो में सुखी भुमी में चलने पाऐंगे।


क्या आपने एक बात पर ध्यान दिया है कि यीशु ने यह नहीं कहा कि, “जाओ और बीमारों के लिए प्रार्थना करों”? उसने तो यह कहा है कि “जाओ और बीमारों को चंगा करों” (मत्ती 10:8)। तो हरेक समय निवेदन वाली प्रार्थना करना बंद करें और अपने अधिकार का प्रयोग करे जो मसीह यीशु में आपकी है।


यीशु ने चर्च को कहा, “ इस पृथ्वी और स्वर्ग का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिए जाओ…” (मत्ती 28:18-19)। चर्च, परमेश्वर चाहता है कि आप जाए और जो अधिकार उसने आपको दिए है उसका प्रयोग करें। जैसे जैसे आप जाऐंगे, चम्तकार आपके जीवन में होते जाऐंगे।

प्रार्थना और घोषणा

क्योंकि सारा अधिकार प्रभु यीशु का है, मैं सामथ्र्यशाली हूँ। मैं प्रार्थना में भीक नहीं मांगता मगर अधिकार के साथ प्रार्थना करता हूँ। मेरी सामथ्र्य परमेश्वर के आगे रोने से नहीं मगर उस अधिकार से आती है जो उसने मुझे मसीह में दिया है। आमीन!

Comments (4)

4 thoughts on “अपनी लाठी उठाए”

  1. धन्यवाद पास्टर जी आज के इस अद्भुत और सामर्थ्य वचन के लिए जो परमेश्वर ने आपके द्वारा मुझे दिया उस समय जब मैं जीवन में कठिन परिस्थितियों से होकर गुजर रही हूं सच में परमेश्वर हमसे बातचीत करता और हमारा मार्गदर्शन करता है आमीन

  2. Thank you paster ji es subha ke vachan ke liye aur hme prerit krne ke liye h thank you paster ji Sari mhima parbhu ko mile

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